मुलायम के सैफई गांव के आगे, बड़े-बड़े शहर भी फीके 'नेताजी' ने ऐसे बदली थी सूरत

Mulayam Singh Yadav Funeral: राजनीति में ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद भी मुलायम सिंह सैफई को नहीं भूले। महज 7000 की आबादी वाले सैफई में मुलायम सिंह यादव ने विकास का ऐसा मॉडल खड़ा किया, जिसे हासिल करने के लिए बड़े-बड़े शहर भी तरसते हैं। गांव में चौड़ी सड़कें, बिजली , हवाई पट्टी, मेडिकल कॉलेज, इंटरनेशनल स्टेडियम, अत्याधुनिक सुविधाओं वाला अस्पताल जैसी सभी जरूरी सुविधाएं मौजूद हैं।

मुख्य बातें
  • नब्बे के दशक तक सैफई की तस्वीर भी कुछ उसी तरह की थी, जैसे आम तौर पर भारत के किसी गांव की हालत उस वक्त थी।
  • मुलायम सिंह यादव ने साल 1997 में सैफई महोत्व की शुरूआत की थी, जिसमें बॉलीवुड सितारों का मेला लगता था।
  • हालांकि सैफई महोत्व के आयोजन को लेकर मुलायम परिवार हमेशा विपक्षी दलों के निशाने पर रहा है।

Mulayam Singh Yadav Antim Sanskar:समाजवादी पार्टी के ने संस्थापक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का पार्थिव शरीर आज उसी मिट्टी में मिल जाएगा, जहां उन्होंने जन्म लिया। 22 नवंबर 1939 को मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav ) का उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था। मुलायम सिंह यादव इसी मिट्टी से लेकर राजनीति में चमके और देश के रक्षा मंत्री से लेकर 3 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इन ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद भी मुलायम सिंह सैफई (Saifai Village) को नहीं भूले। महज 7000 की आबादी वाले सैफई में मुलायम सिंह यादव ने विकास का ऐसा मॉडल खड़ा किया, जिसे हासिल करने के लिए बड़े-बड़े शहर भी तरसते हैं। गांव में हवाई पट्टी, मेडिकल कॉलेज, इंटरनेशनल स्टेडियम, अत्याधुनिक सुविधाओं वाला अस्पताल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स जैसे सभी जरूरी सुविधाएं मौजूद हैं। मुलायम सिंह ने सैफई को जिस तरह चमकाया है, भारतीय राजनीति में शायद ही दूसरा कोई नेता अपने गांव के लिए कर पाया हो।

एक पिछड़ा हुआ गांव था सैफई

90 के दशक तक सैफई की तस्वीर भी कुछ उसी तरह की थी, जैसे आम तौर पर भारत के किसी गांव की हालत उस वक्त थी। पढ़ने के लिए अच्छे स्कूल नहीं, इलाज के लिए अस्पताल नहीं, और कनेक्टिविटी के लिए अच्छी सड़के नहीं। लेकिन साल 1989 में जब पहली बार मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने, उसके बाद से सैफई की तस्वीर बदलने लगे। उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में 3 बार के अपने कार्यकाल और एक बार देश के रक्षा मंत्री रहते, सैफई को कई सारी सौगातें दी। और बाद में उनके बेटे अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहते उन कामों को पूरा किया। और उसका ही परिणाम है कि आज सैफई की चमक-दमक लोगों को चौंकाती हैं।

पूरी तरह से आधुनिक शहर लगता है सैफई

इटावा से सैफई जैसे-जैसे करीब आता है, उसका विकास नजर आता है। गांव में चौड़ी-चौड़ी सड़के हैं। सड़कों पर लाइटिंग है, बड़ी-बड़ी दुकाने हैं। शॉपिंग मॉल भी है। इसी तरह मुलायम सिंह ने ग्रामीण आयुर्विज्ञान संस्थान के नाम से मेडिकल कालेज की नींव रखी। जिसे बाद में अखिलेश सरकार में मेडिकल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया।

बीच में एक दौर ऐसा भी आया था कि दूसरे शहरों से लोग दो पहिया वाहन और कारों को खरीदने के लिए सैफई आते थे। सैफई महोत्सव समय में प्रदेश सरकार की ओर से वाहनों पर सेल्ट टैक्स में छूट दी जाती थी। और इस कारण सभी प्रमुख वाहन निर्माता वहां पर अपने स्टॉल लगाते थे।

सैफई महोत्सव में सितारों का लगता था तांता

पूरे देश में सैफई की एक और पहचान थी, जो उसे सैफई महोत्सव के रूप मे मिली। इसकी शुरूआत मुलायम सिंह यादव ने साल 1997 में की थी। और जब-जब राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार रही, उस वक्त सैफई महोत्सव की चमक देखते ही बनती थी। आलम यह था कि बॉलीवुड के सितारों से लेकर प्रमख कवि और दूसरी हस्तियां यहां शिरकत करती थी। महोत्सव में अमिताभ बच्चन,माधुरी दीक्षित, सलमान खान जैसी हस्तियां पहुंचती थी।

आरोप भी लगे

लेकिन सैफई में हुए विकास और महोत्सव को लेकर राजनीतिक दल मुलायम परिवार को घेरते भी रहे। उनका कहना था कि सपा के कार्यकाल विकास की नदियां केवल एक गांव तक ही सीमित रह जाती है। इसी तरह सैफई महोत्सव पर किया गया खर्च भी विपक्ष के निशाने पर रहता था।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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