Mulayam Singh Yadav Nidhan : 3 बार यूपी के CM रहे मुलायम, हर सीट की रखते थे जानकारी
Mulayam Singh Yadav Death News : पहलवानी के अखाड़े से अपने जीवन की शुरुआत करने वाले मुलायम सिंह ने जब राजनीति में कदम रखा तो उन्होंने यहां भी अपना दबदबा कायम रखा। एक तरह से अपने दौर में वह राजनीति के सबसे बड़े 'पहलवान' रहे। आम लोगों से जुड़े रहने की वजह से उन्हें 'धरतीपुत्र' कहा गया।
मुख्य बातें
- तबीयत बिगड़ने पर गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में मुलायम सिंह को भर्ती कराया गया
- गत दो अक्टूबर से मुलायम सिंह वेंटिलेटर पर थे लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ
- उनके निधन से भारतीय राजनीति को एक बड़ा नुकसान हुआ है, उनकी भरपाई संभव नहीं
Mulayam Singh Yadav Death News : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सोमवार सुबह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। अस्पताल में मुलायम सिंह की तबीयत पिछले कुछ दिनों से बेहद नाजुक बनी हुई थी। गत 22 अगस्त में अस्पताल में भर्ती सपा संस्थापक को गत 2 अक्टूबर से वेंटिलेटर पर रखा गया था। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही थी। मुलायम सिंह के निधन से राजनीति में एक युग का अंत हो गया है। पहलवानी के अखाड़े से अपने जीवन की शुरुआत करने वाले मुलायम सिंह ने जब राजनीति में कदम रखा तो उन्होंने यहां भी अपना दबदबा कायम रखा। एक तरह से अपने दौर में वह राजनीति के सबसे बड़े 'पहलवान' रहे।
मुलायम को यूपी के हर सीट की होती थी जानकारी
मुलायम सिंह जमीनी स्तर के नेता थे। उन्हें राज्य के प्रत्येक सीट की जानकारी होती थी। कहा जाता है कि उन्हें पता होता था कि अमुक सीट पर पार्टी की क्या हालत है, उस सीट पर उनका उम्मीदवार विजयी हो पाएगा या नहीं, यह बात उन्हें पहले से पता रहती थी। यही बात भाजपा के दिवंगत नेता एवं सूब के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के लिए भी कही जाती है। ये दोनों जमीनी नेता थे। मुख्यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव ने पहली बार कमान 1989 में संभाली। पहली बार वह ज्यादा समय तक सीएम नहीं रह सके। उनकी यह सरकार 24 जनवरी 1991 को गिर गई। दूसरी बार 1993 में उन्होंने बसपा के साथ मिलकर सरकार बनाई और दूसरी बार सीएम बने। मुलायम सिंह ने तीसरी बार 29 अगस्त 2003 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 11 मई 2007 तक सूबे के सीएम बने रहे।
असैन्य परमाणु करार में निभाई अहम भूमिका
मुलायम सिंह का राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव से युक्त एवं दिलचस्प रहा। वह देश के रक्षा मंत्री भी रहे। रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने सेना में कई सुधार किए। इन सुधारों के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। साल 2009 में अमेरिका के साथ भारत के हुए असैन्य परमाणु करार में भी मुलायम सिंह की बहुत बड़ी भूमिका रही। मुलायम सिंह की पार्टी सपा ने यदि संसद में मनमोहन सरकार का साथ नहीं दिया होता तो यह समझौता नहीं हो पाता। मुलायम सिंह ने पार्टी लाइन से हटकर देशहित में फैसला किया।
कारसेवकों पर गोली चलाने का दिया आदेश
सीएम रहते हुए मुलायम सिंह ने 1990 में अयोध्या पर कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया था। पुलिस की इस कार्रवाई में करीब एक दर्जन लोग मारे गए। इस घटना ने राज्य में भारतीय जनता पार्टी को अपना जनाधार बढ़ाने का मौका दिया। कारसेवकों पर गोली चलवाकर मुलायम सिंह कठघरे में आए और भाजपा ने उन पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाया। बाद में मुलायम सिंह ने कहा था कि गोली चलवाने का फैसला लेना कठिन था। हालांकि इसका उन्हें राजनीतिक लाभ हुआ था और उनकी मुस्लिम परस्त छवि बनी। भाजपा ने उन्हें 'मुल्ला मुलायम' तक कहा।
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आलोक कुमार राव author
करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने...और देखें
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