साहित्य के 'सेठ' थे प्रेमचंदः गुल्ली डंडा से था प्यार, 15 साल की उम्र में हुआ विवाह; दे गए ये 'गोल्डन रूल्स'

Munshi Premchand Jayanti: मुंशी प्रेमचंद (असली नाम- धनपत राय) के दादा गुरु सहाय राय पटवारी (ग्राम भूमि रिकॉर्ड-कीपर) थे, जबकि पिता अजायब लाल डाकघर में क्लर्क थे। धनपत अजायब और आनंदी की चौथी संतान थे।

प्रेमचंद प्रसिद्ध हिंदी लेखक, कहानीकार और उपन्यासकार थे। (क्रिएटिवः अभिषेक गुप्ता)

Munshi Premchand Jayanti: मुंशी प्रेमचंद...वो सिर्फ एक नाम और पहचान नहीं बल्कि हिंदी साहित्य के बड़े और बिंदास ब्रांड थे। यह उनकी पैनी और धारदार लेखनी ही थी, जो आज दुनिया उन्हें "साहित्य का सेठ", "हिंदी साहित्य का पोस्टरबॉय" और "हिंदी साहित्य का अनमोल रत्न" करार देती है। जाने-माने हिंदी लेखक, कहानीकार और उपन्यासकार प्रेमचंद का जन्म यूपी के वाराणसी में 31 जुलाई 1880 को हुआ था। सोमवार (31 जुलाई, 2023) को उनकी जयंती पर पढ़िए उनकी जिंदगी से जुड़ी रोचक बातें:
अपनी अधिकतर कहानियां साल 1907 से 1936 के बीच लिखने वाले हिंदुस्तान के कालजयी साहित्यकार का असल नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। सबसे खास बात है कि उनकी लिखी हुई सामग्री को समय की सीमा में बांधा नहीं जा सकता है। उनका साहित्य तब भी प्रासंगिक था, अब भी है और आगे भी रहेगा! उनकी कहानियों के दुख असल में उनके निजी जिंदगी के थे। उनके किस्से-कहानियों में गांव की समस्याएं ही केंद्र में नजर आती थीं। साहित्य को सच्चाई के धरातल पर उतारने में उन्होंने तब बड़ी अहम भूमिका निभाई थी।
आठ साल की उम्र में उन्होंने मां को खो दिया था। 50 बरस के पिता ने आगे दूसरी शादी की तो पराई मां उनकी कभी न हो सकीं। आगे पिता की मौत के बाद प्रेमचंद को बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ा। परिवार में मां और उनके बच्चे का सारा बोझ भी इसी लेखक के कांधों पर आ गया था। वैसे, वह जब 15 साल के थे तभी उनकी शादी कर दी गई थी।
हालांकि, ऐसा कहा जाता है कि उनकी अपनी पत्नी से अधिक बात नहीं होती थी। बाद में वह मायके चली गई और लौट कर ही नहीं आई। यही वजह थी कि प्रेमचंद ने दूसरी शादी के बारे में सोचा और उन्होंने परिचित की बेटी शिवरानी से शादी की। हालांकि, असल में वह गांव के देहाती आदमी थे और उन्हें गुल्ली डंडा खेल बड़ा प्रिय था।
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