मुस्लिम करते हैं सबसे ज्यादा कंडोम का इस्तेमाल? जानें, किस आधार पर दावा कर रहे हैं ओवैसी
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भारत में टोटल फर्टिलिटी रेट या टीएफआर में गिरावट देखी गई है। हैदराबाद के सांसद ने कहा कि मुसलमानों की प्रजनन दर में सबसे तेज गिरावट देखी गई है। ओवैसी ने दावा किया कि मुस्लिम समाज सबसे ज्यादा कंडोम का इस्तेमाल करता है।
मुस्लिम करते हैं कंडोम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल (फोटो- @pixabay & PTI)
- मोहन भागवत पर पलटवार करते हुए ओवैसी ने ये दावा किया है
- मोहन भागवत ने की थी जनसंख्या नियंत्रण कानून की वकालत
- ओवैसी का दावा- मुस्लिमों की जनसंख्या घट रही है
एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर से दावा किया है कि भारत में मुसलमान सबसे ज्यादा कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। इससे पहले भी वो ऐसा दावा कर चुके हैं। शनिवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान पर पलटवार करते हुए ओवैसी ने ये बातें कही।
ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों की जनसंख्या से डरने की जरूरत नहीं है, मुसलमानों की संख्या घट रही है। मुस्लिम सबसे ज्यादा कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। आइए जानते हैं कि ओवैसी आखिर क्यों बार-बार दावे कर रहे हैं और इन दावों का आधार क्या है?
भारत में प्रजनन दर
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की पांचवीं सर्वे रिपोर्ट से पता चला है कि मुसलमानों में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में 46.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह 1992-92 में प्रति महिला 4.4 बच्चों से घटकर 2019-20 में 2.3 बच्चे हो गया है। एनएफएचएस के अब तक के पांच दौरों में, हिंदुओं में टीएफआर में 41.2 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि ईसाई और सिखों में टीएफआर में लगभग एक तिहाई की गिरावट देखी गई है।
वर्तमान में, हिंदुओं में टीएफआर 1.94 है, जबकि ईसाइयों और सिखों में, दर क्रमशः 1.88 और 1.61 है। भारत की कुल प्रजनन दर 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है जो जनसंख्या नियंत्रण उपायों की महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।
इस आधार पर दावा
ओवैसी के दावे का आधार यह प्रजजन रिपोर्ट है। पिछले 20 सालों में प्रजजन दर सबसे ज्यादा गिरावट मुस्लिमों में देखी गई है। पिछले 20 साल में मुस्लिमों की प्रजनन दर में 2.05 प्रतिशत की कमी आई है। जबकि हिंदुओं के प्रजनन दर में 1.36 प्रतिशत की कमी आई है।
हालांकि अगर सभी पांचों रिपोर्टों पर नजर डालें तो अभी भी प्रजजन दर सबसे ज्यादा मुस्लिमों की ही है। मुस्लिमों की प्रजनन दर 1992-93 में यह 4.41 थी, जो 2019-21 में यह 2.36 प्रतिशत हो गई। जबकि दूसरे नंबर पर हिंदुओं की प्रजनन दर है। जो 1992-93 में 3.30 थी और अभी यह 1.94 है।
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