'पूर्वाग्रहों से निपटना बहुत जरूरी, मेरी बेटियों ने दुनिया देखने का तरीका बदल दिया...' दिव्यांग बच्चों के कार्यक्रम में बोले सीजेआई चंद्रचूड़

CJI DY Chandrachud: सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पुलिस थानों से लेकर अदालतों तक न्याय प्रणाली दिव्यांग बच्चों की बढ़ती कमजोरियों को समझे और उन पर कार्रवाई करे।

CJI DY Chandrachud

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

CJI DY Chandrachud: भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने दिव्यांग बच्चों को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मेरी बेटियों दुनिया देखने का मेरा नजरिया पूरी तरह बदल दिया है। उन्होंने न केवल दुनिया को देखने का तरीका बदला है, बल्कि इससे जुड़ने का तरीका भी बदल दिया है। उन्होंने अधिक समावेशी समाज बनाने की मेरी प्रतिबद्धता को भी मजबूत किया है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने ये बातें दिव्यांग बच्चों के अधिकार संरक्षण पर नौवें राष्ट्रीय वार्षिक हितधारक परामर्श कार्यक्रम में कहीं।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पुलिस थानों से लेकर अदालतों तक न्याय प्रणाली दिव्यांग बच्चों की बढ़ती कमजोरियों को समझे और उन पर कार्रवाई करे। उन्होंने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियां भौतिक पहुंच के मुद्दों से कहीं अधिक हैं और उन्हें उन सामाजिक पूर्वाग्रहों, रूढ़ियों तथा गलत धारणाओं से भी निपटना होगा जो जीवन के लगभग हर पहलू में व्याप्त हैं।

बच्चों की कमजोरियों को समझे न्याय प्रणाली

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि पुलिस थानों से लेकर अदालतों तक की न्याय प्रणाली इन बच्चों की बढ़ती हुई कमजोरियों को समझे और उन पर कार्रवाई करे। पुनर्स्थापनात्मक न्याय दृष्टिकोण को शामिल करना ऐसा ही एक समाधान है। जेजे अधिनियम (किशोर न्याय अधिनियम) कानून के साथ जूझते बच्चों के लिए परामर्श, शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और सामुदायिक सेवा जैसे विभिन्न पुनर्वास और पुनः एकीकरण उपायों की रूपरेखा तैयार करता है। दिव्यांग बच्चों के लिए, इन उपायों को अनुकूलित किया जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए आवश्यक विशेष सहायता प्राप्त हो।

दो अद्भुत युवा बेटियों के प्यार की याद आती है
सीजेआई ने कहा, इस साल का विषय मेरे दिल में विशेष स्थान रखता है, जो कि- 'विकलांग बच्चों की सुरक्षा और कल्याण' है। उन्होंने कहा, दो अद्भुत युवा बेटियों को पालने वाले व्यक्ति के रूप में मुझे प्रतिदिन उस खुशी, उद्देश्य और प्यार की याद आती है, जो वे मेरे जीवन में आती हैं। उन्होंने कहा, मेरी बेटियों ने एक अधिक समावेशी समाज की मेरी प्रतिबद्धता को मजबूत किया है, जहां हर बच्चे को उसकी क्षमताओं की परवाह किए बिना पोषित और संरक्षित किया जा सके।
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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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