Nagaland Nagar Nikay Chunav: जब 20 सालों बाद नागालैंड में हुआ नगर निकाय चुनाव, वोटरों की उमड़ पड़ी भीड़, 80 प्रतिशत मतदान

Nagaland Nagar Nikay Chunav: चुनाव लड़ रहे दलों में एनडीपीपी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ), राइजिंग पीपुल्स पार्टी, आरपीआई (आठवले), जनता दल (यूनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) शामिल हैं।

Nagaland Nagar Nikay Chunav

नागालैंड में हुआ 20 साल बार नगर निकाय चुनाव (फाइल फोटो)

मुख्य बातें
  • नागालैंड में नगर निकाय चुनाव 2004 में हुआ था
  • 523 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत का फैसला होगा
  • नागालैंड निकाय चुनाव के लिए मतगणना 29 जून को होगी
Nagaland Nagar Nikay Chunav: नागालैंड में 20 साल बाद बुधवार को नगर निकाय चुनाव के लिए वोटिंग हुई। नागालैंड नगर निकाय चुनाव में लोगों ने जमकर वोटिंग की। मतदान केंद्रों में लोगों की भीड़ उमड़ी दिखी। मतदान का समय खत्म होने के बाद भी बूथों पर कई जगह लंबी कतारें दिखीं।

नागालैंड नगर निकाय चुनाव में कितनी वोटिंग

नागालैंड नगर निकाय चुनाव में शाम तक 80 प्रतिशत मतदान हुआ है। ये मतदान प्रतिशत अभी और बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि फाइनल डाटा अभी आना बाकी है। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच, 10 जिलों के 25 शहरी निकायों में मतदान सुबह साढ़े सात बजे शुरू हुआ और यह शाम चार बजे तक जारी रहा। राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) के एक अधिकारी ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘मतदान शांतिपूर्ण रहा... 10 जिलों के 214 मतदान केंद्रों पर त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।"

बैलेट पेपर से हुए नागालैंड में मतदान

अधिकारी ने बताया कि 420 मतदान केंद्रों पर ईवीएम के बजाय मतपत्रों के जरिए मतदान कराया गया। नगालैंड राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया कि पहली बार महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के साथ शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराये गए। पूर्वोत्तर के इस राज्य में यह एक ऐतिहासिक चुनाव है क्योंकि तीन नगरपालिकाओं और 22 नगर परिषद के लिए चुनाव 20 वर्ष के अंतराल के बाद कराया गया। इससे पहले, नगर निकाय चुनाव 2004 में हुआ था।

क्यों नहीं हो पाता था नागालैंड में निकाय चुनाव

सरकार ने पहले भी कई बार शहरी स्थानीय निकायों के लिए चुनाव की घोषणा की थी लेकिन महिलाओं के लिए आरक्षण, भूमि तथा संपत्तियों पर कर के खिलाफ जनजातीय संगठनों और नागरिक संस्थाओं की आपत्तियों के कारण चुनाव नहीं कराया जा सका।
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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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