11 दिसंबर को खत्म हो सकता है MP के मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस, BJP विधायकों की बैठक में लगेगी मुहर

Madhya Pradesh CM Name: इस बार BJP ने मौजूदा मुख्यमंत्री चौहान को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किए बिना विधानसभा चुनाव लड़ा। ऐसा 20 साल बाद हुआ कि पार्टी ने मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया।

क्या शिवराज चौहान को फिर मिलेगा मौका?

Madhya Pradesh CM Name: मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री को लेकर जारी सस्पेंस सोमवार 11 दिसंबर को खत्म होने की संभावना है। भाजपा के 163 नवनिर्वाचित विधायक केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में सोमवार को एक बैठक में अपने नेता का चयन करेंगे। पार्टी के एक पदाधिकारी ने यह जानकारी दी। 17 नवंबर को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में, जिसके नतीजे पिछले रविवार को घोषित किए गए, भाजपा ने 230 सीटों में से 163 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस 66 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही। पार्टी ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश में अपने विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, अपने ओबीसी मोर्चा प्रमुख के. लक्ष्मण और सचिव आशा लाकड़ा को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया।

केंद्रीय पर्यवेक्षक करेंगे बैठक की अध्यक्षता

मध्य प्रदेश भाजपा मीडिया प्रकोष्ठ के प्रमुख आशीष अग्रवाल ने बताया कि केंद्रीय पर्यवेक्षक सोमवार को पार्टी विधायकों की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। उन्होंने कहा कि बैठक का कार्यक्रम तय होने के बाद इसे मीडिया के साथ साझा किया जाएगा। पार्टी सूत्रों ने बताया कि बैठक सोमवार शाम पांच बजे या सात बजे के बीच किसी भी समय शुरू होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि बैठक पहले रविवार को होने वाली थी, लेकिन पर्यवेक्षकों के व्यस्त कार्यक्रम के कारण इसे सोमवार तक के लिए टाल दिया गया। सूत्रों ने बताया कि पर्यवेक्षकों के रविवार शाम या सोमवार सुबह मध्य प्रदेश पहुंचने की संभावना है। पिछले 19 साल में यह तीसरी बार है जब भाजपा मध्य प्रदेश में केंद्रीय पर्यवेक्षक भेज रही है।

शिवराज चौहान पर सस्पेंस

अगस्त 2004 में, जब उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था तो पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद महाजन और अरुण जेटली को राज्य में केंद्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में भेजा गया था। नवंबर 2005 में, जब बाबूलाल गौर ने राज्य में शीर्ष पद से इस्तीफा दे दिया था तो विधायकों को नया मुख्यमंत्री चुनने में मदद करने के लिए राजनाथ सिंह को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में भेजा गया था। उस वक्त शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल का नेता चुना गया था। इस बार BJP ने मौजूदा मुख्यमंत्री चौहान को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किए बिना विधानसभा चुनाव लड़ा। ऐसा 20 साल बाद हुआ कि पार्टी ने मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया।

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