कभी विप्रो से नौकरी मांगने गए थे नारायण मूर्ति, हो गए थे रिजेक्ट, अजीम प्रेमजी ने बाद में मानी थी गलती
भारतीय अरबपति व्यवसायी नारायण मूर्ति ने शनिवार को सीएनबीसी-टीवी18 को दिए गए इंटरव्यू में ये बातें कहीं। नारायण मूर्ति ने खुलासा किया कि विप्रो के पूर्व अध्यक्ष अजीम प्रेमजी ने बाद में मूर्ति से कहा कि उन्हें काम पर न रखने का निर्णय एक गलती थी।
इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति
इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने एक बार विप्रो में नौकरी के लिए आवेदन किया था, लेकिन तब उन्हें विप्रो में नौकरी नहीं मिली थी। जिससे बाद नारायण मूर्ति ने इंफोसिस की स्थापना की, जो आईटी उद्योग में विप्रो के सबसे बड़े प्रतिस्पर्धियों में से एक है।
'अजीम प्रेमजी ने मानी थी गलती'
भारतीय अरबपति व्यवसायी नारायण मूर्ति ने शनिवार को सीएनबीसी-टीवी18 को दिए गए इंटरव्यू में ये बातें कहीं। नारायण मूर्ति ने खुलासा किया कि विप्रो के पूर्व अध्यक्ष अजीम प्रेमजी ने बाद में मूर्ति से कहा कि उन्हें काम पर न रखने का निर्णय एक गलती थी। मूर्ति ने कहा- ''अजीम ने एक बार मुझसे कहा था कि उन्होंने जो सबसे बड़ी गलती की, वह मुझे काम पर न रखना था।''
इंफोसिस की शुरुआत
1981 में, नारायण मूर्ति ने अपने छह दोस्तों और पत्नी सुधा मूर्ति द्वारा दी गई 10,000 रुपये की प्रारंभिक धनराशि के साथ इंफोसिस की स्थापना की। जो आज आईटी की बड़ी कंपनियों में से एक है। वहीं प्रेमजी ने अपने विरासत में मिले वनस्पति तेल साम्राज्य को एक आईटी सॉफ्टवेयर समाधान प्रदाता फर्म में बदल दिया।
बेंगलुरु में स्थित
विप्रो और इंफोसिस, दोनों बेंगलुरु में स्थित हैं और भारत की दो सबसे बड़ी आईटी कंपनियां हैं। विप्रो की स्थापना प्रेमजी के पिता, एमएच हशम प्रेमजी ने दिसंबर 1945 में की थी, दूसरे की स्थापना जुलाई 1981 में मूर्ति, नंदन नीलेकणि, क्रिस गोपालकृष्णन, एसडी शिबूलाल, के दिनेश, एनएस राघवन और अशोक अरोड़ा ने की थी।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
End of Article
शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र...और देखें
End Of Feed
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited