नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड: दो आरोपियों को उम्रकैद की सजा, मास्टमाइंड वीरेंद्र तावड़े समेत 3 बरी

Narendra Dabholkar Murder Case: डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने साजिश के मास्टरमाइंड डॉ. वीरेंद्र तावड़े को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। वहीं, दो अन्य आरोपी शरद कालस्कर और सचिन एंडुरे को उम्रकैद की सजा सुनाई है, दोनों पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

Court Order

नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में अदालत का फैसला

Narendra Dabholkar Murder Case: महाराष्ट्र की पुणे की एक विशेष अदालत ने 13 साल पुराने चर्चित डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने साजिश के मास्टरमाइंड डॉ. वीरेंद्र तावड़े, संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। वहीं, दाभोलकर को गोली मारने वाले आरोपी शरद कालस्कर और सचिन एंडुरे को उम्रकैद की सजा सुनाई है, दोनों पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

जानकारी के मुताबिक, नरेंद्र दाभोलकर को 20 अगस्त, 2013 में गोली मार दी गई थी। यह हत्याकांड उस समय हुआ जब दाभोलकर पुणे के ओंकारेश्वर ब्रिज पर सुबह की सैर पर निकले थे। इस मामले में डॉ. वीरेंद्र तावड़े, संजीव पुनालेकर, विक्रम भावे, शरद कालस्कर और सचिन एंडुरे को आरोपी बनाया गया था।

अंधविश्वास के खिलाफ अभियान के विरोधी थे आरोपी

डॉ. नरेंद्र दाभोलकर एक सामाजिक कार्यकर्ता थे और वह अंधविश्वास के खिलाफ अभियान चला रहे थे। अभियोजन पक्ष ने अपनी अंतिम दलीलों में कहा था कि आरोपी अंधविश्वास के खिलाफ दाभोलकर के अभियान के विरोधी थे। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 20 गवाहों जबकि बचाव पक्ष ने दो गवाहों से सवाल-जवाब किए।

सीबीआई को ट्रांसफर किया गया था केस

शुरुआत में इस मामले की जांच पुणे पुलिस कर रही थी, लेकिन बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 2014 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मामले को अपने हाथ में ले लिया और जून 2016 में हिंदू दक्षिणपंथी संगठन सनातन संस्था से जुड़े डॉ. वीरेंद्र सिंह तावड़े को गिरफ्तार कर लिया।अभियोजन पक्ष के अनुसार, तावड़े हत्या के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था। उसने दावा किया कि सनातन संस्था दाभोलकर की संस्था महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति द्वारा किए गए कार्यों का विरोध करती थी। इसी संस्थान से तावड़े और कुछ अन्य आरोपी जुड़े हुए थे। सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में शुरुआत में भगोड़े सारंग अकोलकर और विनय पवार को शूटर बताया था लेकिन बाद में सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को गिरफ्तार किया और एक पूरक आरोपपत्र में दावा किया कि उन्होंने दाभोलकर को गोली मारी थी। इसके बाद, केंद्रीय एजेंसी ने अधिवक्ता संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को कथित सह-साजिशकर्ता के तौर पर गिरफ्तार किया।

दाभोलकर हत्याकांड के बाद तीन अन्य कार्यकर्ताओं की हुई हत्याएं

आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120 बी (साजिश), 302 (हत्या), शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं और यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया। तावड़े, अंदुरे और कालस्कर जेल में बंद हैं जबकि पुनालेकर और भावे जमानत पर बाहर हैं। दाभोलकर की हत्या के बाद अगले चार साल में तीन अन्य ऐसे ही कार्यकर्ताओं की हत्याएं हुईं, जिनमें कम्युनिस्ट नेता गोविंद पानसरे (कोल्हापुर, फरवरी 2015), कन्नड़ विद्वान एवं लेखक एम.एम. कलबुर्गी (धारवाड़, अगस्त 2015) और पत्रकार गौरी लंकेश (बेंगलुरु, सितंबर 2017) की हत्याएं शामिल हैं। ऐसा अंदेशा है कि इन चारों मामलों के अपराधी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।

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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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