मोदी की क्रिकेट डिप्लोमेसी,भारत-ऑस्ट्रेलिया की जोड़ी ड्रैगन पर कितना कस पाएगी नकेल
Narendra Modi Cricket Stadium and India Australia Relationship: दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम, नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम में दोनों देशों के प्रधानमंत्री के मैच देखने की खास वजह है। क्रिकेट के पिच दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है।
क्रिकेट मजबूत करेगा भारत-ऑस्ट्रेलिया की दोस्ती
Narendra Modi Cricket Stadium and India Australia Relationship:भारत में क्रिकेट डिप्लोमेसी पाकिस्तान के साथ हमेशा से चर्चा में रही है, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ऐसे देश के साथ इसे आजमा रहे हैं, जिसका भारत के साथ 75 साल पुराना मजबूत नाता रहा है। ऑस्ट्रेलिया दुनिया के उन देशों में शामिल है, जिसने आजाद भारत के साथ सबसे पहले राजनयिक रिश्ते कायम किए। अब उस दोस्ती को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया का प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार भारत पहुंचे एंथोनी अल्बानीज आगे बढ़ाने की कोशिश में हैं।
क्रिकेट क्यों है अहम
दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम, नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम में दोनों देशों के प्रधानमंत्री के मैच देखने की खास वजह है। असल में भारत और ऑस्ट्रलिया के बीच क्रिकेट की प्रतिद्वंदिता इस मुकाम पर पहुंच गई है, जिससे क्रिकेट के पिच रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है। भारत की तरह ऑस्ट्रेलिया में भी क्रिकेट एक जुनून है। जो दोनों देशों की राजनीति को भी प्रभावित करती है। शायद इसीलिए नरेंद्र मोदी और एंथोनी अल्बानीज ने रिश्तों को मजबूत करने के लिए क्रिकेट को जरिया बनाया है।
चीन के खिलाफ भारत का अहम साझेदार
ऑस्ट्रेलिया के विदेश मामलों के विभाग के अनुसार दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों की शुरूआत साल 1941 से होती है। जब भारत के काउंसलेट जनरल ने सिडनी में ट्रेड ऑफिस खोला। और उसके बाद 1944 में ऑस्ट्रेलिया ने भारत में अपना राजदूत नियुक्त किया। इसी कड़ी में भारत ने साल 1945 में ऑस्ट्रेलिया में अपना राजदूत नियुक्त किया।
मौजूदा समय में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मुक्त व्यापार समझौता दिसंबर 2022 से लागू हो गया है। इससे दोनों देशों के बीच 23 अरब डॉलर का व्यापार ड्यूटी फ्री हो गया है। 8 जनवरी 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार भारत, ऑस्ट्रेलिया से 17 अरब डॉलर का आयात करता है जबकि ऑस्ट्रेलिया को वह 10.5 अरब डॉलर का निर्यात करता है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए कोयले पर प्रमुख रूप से ऑस्ट्रेलिया पर निर्भर है।
इसके अलावा चीन के खिलाफ रणनीतिक साझेदारी में भी ऑस्ट्रेलिया भारत का अहम साझेदार है। इसके तहत अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान QUAD के अहम सदस्य हैं। साथ ही चीन से निपटने के लिए बने AUKUS (ऑस्ट्रेलिया, यू.के.यूएस) में भी भारत की सदस्यता के लिए ऑस्ट्रेलिया ने सकारात्मक रूख बनाया है।
इसके अलावा प्रशांत महासागर में ड्रैगन की बढ़ती दखलअंदाजी से परेशान ऑस्ट्रेलिया ,चीन से कारोबार में कमी ला रहा है और उसका फायदा भारत को मिलने की पूरी संभावना है। जो इस बार के एंथोनी अल्बानीज के दौर में कई समझौतों के रुप में दिख सकती है।
इस बार हो सकते हैं ये अहम ऐलान
- ऐसी संभावना है कि भारत ऑस्ट्रेलिया में रेयर अर्थ सेक्टर में बड़े निवेश का ऐलान कर सकता है। इसके तहत KABIL कंपनी निवेश कर सकती है।
- रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में अहम समझौते हो सकते हैं। जिसमें छोटे सोलर प्लांट पर दोनों देशों का फोकस होगा।
- भारत के स्किल कामगारों के लिए ऑस्ट्रेलिया नए दरवाजे खोल सकता है। ऑस्ट्रेलिया में ओवरसीज भारतीयों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।
- ऑस्ट्रेलिया भारत में यूनिवर्सिटी खोलने के ऐलान कर सकता है।
- इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया में मौदूज भारतीय छात्रों को नई सुविधाओं का ऐलान हो सकता है।
ऑस्ट्रेलिया में हिंदू मंदिरों पर हमले चिंताजनक
पिछले कुछ समय से ऑस्ट्रेलिया में हिंदू मंदिरों पर हमले बढ़े हैं। इसमें खालिस्तान समर्थकों के संगठनों का अहम हाथ रहा है। ऐसे में भारत, ऑस्ट्रेलिया के सामने न केवल इस मुद्दे को मजबूती से उठा सकता है, बल्कि ऑस्ट्रेलिया से ठोस कार्रवाई का आश्वासन भी ले सकता है।
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प्रशांत श्रीवास्तव author
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