'इतने सस्ते में चंद्रयान-3 कैसे बनाया, आप हमें इसे क्यों नहीं बेचते?', NASA ने मांग ली ISRO की टेक्नोलॉजी

Chandrayaan-3 Technology: इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिक जानना चाहते थे कि हमने इतने सस्ते में चंद्रयान-3 कैसे बनाया? वैज्ञानिकों ने कहा, भारत के उपकरण कितने सस्ते और एडवांस लेवल के हैं, वे चंद्रयान-3 की टेक्नोलॉजी खरीदना चाहते थे।

Chandrayaan-3

चंद्रयान-3 की टेक्नोलॉजी खरीदना चाहता है NASA

तस्वीर साभार : भाषा
Chandrayaan-3 Technology: चंद्रयान-3 की सफलता का अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA समेत पूरी दुनिया ने लोहा माना है। अब NASA ने भारत से चंद्रयान-3 की टेक्नोलॉजी की मांग की है। इसका खुलासा खुद इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने किया है। रविवार को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, अमेरिका में जटिल रॉकेट मिशन में शामिल विशेषज्ञों ने जब चंद्रयान-3 अंतरिक्षयान को विकसित करने की गतिविधियों को देखा तो भारत को सुझाव दिया कि वे उनसे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी साझा करें।
इसरो चीफ ने कहा, अब वक्त बदल गया है और भारत बेहतरीन उपकरण और रॉकेट बनाने में सक्षम है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोला है। उन्होंने कहा, हमारा देश बहुत शक्तिशाली राष्ट्र है। ज्ञान और बुद्धिमत्ता के स्तर के लिहाज से हमारा देश दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों में से एक है।

चंद्रयान-3 की टेक्नोलॉजी अमेरिका को क्यों नहीं बेच देते?

इसरो प्रमुख ने कहा, चंद्रयान-3 मिशन के लिए जब हमने अंतरिक्ष यान को डिजाइन और विकसित किया, तो हमने जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला, नासा-जेपीएल के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया, जो सभी रॉकेट और सबसे कठिन मिशन पर काम करते हैं। उन्होंने कहा, नासा-जेपीएल से लगभग पांच-छह लोग आए और हमने उन्हें चंद्रयान-3 के बारे में समझाया। यह सॉफ्ट लैंडिंग होने से पहले की बात है। हमने बताया कि हमने इसे कैसे डिजाइन किया और हमारे इंजीनियरों ने इसे कैसे बनाया और हम चंद्रमा की सतह पर कैसे उतरेंगे। इसके बाद अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कोई टिप्पणी नहीं की और कहा, सब कुछ अच्छा होने वाला है। सोमनाथ ने कहा, अमेरिकी अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने एक बात यह भी कही कि वैज्ञानिक उपकरणों को देखो, वे बहुत सस्ते हैं। इन्हें बनाना बहुत आसान है और ये उच्च तकनीक वाले हैं। आपने इसे कैसे बनाया? वे पूछ रहे थे, आप इसे अमेरिका को क्यों नहीं बेच देते?

भारत सर्वोत्तम रॉकेट बनाने में सक्षम

इसरो चीफ ने कहा, समय कितना बदल गया है। हम भारत में सर्वोत्तम उपकरण और सर्वोत्तम रॉकेट बनाने में सक्षम हैं। यही कारण है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को खोल दिया है। उन्होंने कहा कि भारत ने 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के लैंडर ने चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव को सफलतापूर्वक छुआ, जिससे वह अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद चंद्रमा पर उतरने की उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया। सोमनाथ ने छात्रों से कहा, अब हम आप लोगों से कह रहे हैं कि आएं और रॉकेट, उपग्रह बनाएं और हमारे देश को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में और अधिक शक्तिशाली बनाएं। यह केवल इसरो ही नहीं है, हर कोई अंतरिक्ष में ऐसा कर सकता है। चेन्नई में एक कंपनी है जिसका नाम अग्निकुल है जो रॉकेट का निर्माण कर रही है। ऐसी ही हैदराबाद में एक कंपनी स्काईरूट है, भारत में कम से कम पांच कंपनियां हैं जो रॉकेट और उपग्रह बना रही हैं।
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