Gujarat: प्राकृतिक खेती में हुआ 2425% से अधिक का इजाफा, 27 लाख से अधिक किसानों को सरकार ने किया प्रशिक्षित

Natural Farming In Gujarat: गुजरात में प्राकृतिक खेती के विकास को गति मिली है। पिछले 4 वर्षों में 2425% से अधिक की वृद्धि हुई है। वर्ष 2019 में प्राकृतिक खेती करने वाले 35,000 किसानों से वर्ष 2023 में 8.70 लाख किसान हुए। राज्य सरकार द्वारा 27 लाख से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षित किया गया।

पिछले 4 वर्षों में गुजरात में प्राकृतिक खेती में हुई 2425% से अधिक की वृद्धि।

Gujarat News: भोजन की उपलब्धता, पहुंच और खपत किसी देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के तीन महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। लगातार बढ़ती जनसंख्या पहले से ही संतृप्त प्राकृतिक खाद्य संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है। इसलिए, बढ़ती खाद्य मांग को पूरा करने के वैकल्पिक साधन खोजने की आवश्यकता सर्वोपरि है। बढ़ती खाद्य मांग को पूरा करने के लिए सबसे कुशल और टिकाऊ तरीकों में से एक प्राकृतिक खेती है। प्राकृतिक खेती एक रसायन-मुक्त पारंपरिक कृषि पद्धति है जो मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखती है, भोजन में पोषक तत्वों को बरकरार रखती है और पर्यावरण में संतुलन बनाए रखती है।

गुजरात सरकार ने राज्य में प्राकृतिक खेती को दिया बढ़ावा

प्राकृतिक खेती के महत्व के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में एक बार कहा था, 'आज प्राकृतिक खेती आत्म-निर्भरता का एक नया मार्ग बन गई है। प्राकृतिक खेती, रसायन मुक्त खेती हमारे देश की ताकत बढ़ा सकती है।' पीएम मोदी के इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए, गुजरात ने मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और राज्यपाल आचार्य देवव्रत के मार्गदर्शन में, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई समर्पित प्रयास किए हैं। राज्य सरकार के विभिन्न प्रयासों के फलस्वरूप, पिछले 4 वर्षों में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का प्रतिशत 2425% से अधिक बढ़ गया है, यानी 2019 में 35,000 से बढ़कर अगस्त 2023 में 8,71,316 हो गया है।

किसानों को दिया गया प्राकृतिक खेती से संबंधित प्रशिक्षण

वलसाड के कपराडा के किसान रघुनाथ जनुभाई भोया ने सरकार द्वारा आयोजित प्राकृतिक खेती से संबंधित प्रशिक्षण लिया। देसी गाय रखरखाव योजना का लाभ लेते हुए उहोंने अपनी गाय के लिए प्रति वर्ष 10,800 रुपये की आर्थिक सहायता का लाभ लिया। वे कहते हैं, 'प्रशिक्षण से गुजरने के बाद, मैंने घन-जीवामृत बनाने के लिए गाय के गोबर और गौ-मूत्र का उपयोग किया। मैं इसे संग्रहित करता हूं और पूरे वर्ष अपनी फसलों के लिए इसका उपयोग करता हूं। इससे मिट्टी और सब्जियों की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिलती है और मैं, इससे बेहतर आय हासिल करने में भी समक्ष बन सका हूं।'

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