जज्बे को सलाम, IAS का सपना देखने वाला शख्स बना लावारिस लाशों का मसीहा, कराता है उनका अंतिम संस्कार
Bihar Dead Body Last Rites: बिहार के गोपालगंज जिले के नवीन श्रीवास्तव पिछले कई लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं, अब तक वह 350 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं।
नवीन श्रीवास्तव पिछले कई सालों से लावारिस शवों का वारिस बनकर उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं (प्रतीकात्मक फोटो)
मुख्य बातें
- नवीन श्रीवास्तव पिछले कई सालों से लावारिस शवों का वारिस बनकर उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं
- वो उनका अंतिम संस्कार उनके धर्म के अनुसार विधि विधान के साथ कराते हैं
- साल 2013 में कुछ साथियों के साथ शताक्षी सेवा संस्थान की स्थापना की
Gopalganj Bihar Unclaimed Dead Bodies: कहते हैं कि मानवता का कोई चेहरा नहीं होता है वो किसी भी रूप में मदद के लिए सामने आ ही जाती है, ऐसा ही बिहार का एक शख्स लावारिस लाशों का मसीहा बनकर सामने आया है और पिछले कई सालों से वो उनका अंतिम संस्कार उनके धर्म के अनुसार विधि विधान के साथ कराते हैं।संबंधित खबरें
हम बात कर रहे हैं बिहार के गोपालगंज जिले के सदर प्रखंड मानिकपुर गांव के रहने वाले नवीन श्रीवास्तव (Naveen Srivastava) की जो पिछले कई सालों से लावारिस शवों का वारिस बनकर उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं।संबंधित खबरें
कैसे शुरू हुआ ये सिलसिलासंबंधित खबरें
नवीन श्रीवास्तव 2001 में सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए यूपी के प्रयागराज गए थे, तभी कुंभ में उनका मौसेरा भाई डूब गया था इसके बाद वो बेहद परेशान हालत में उसे ढूढने का भरसक प्रयास करते रहे लेकिन वो नहीं मिला, और करीब 30 दिन तक भाई का शव गंगा नदी में ढूंढते के बाद एक नाविक की सीख उनके दिल को छू गई और उसके बाद से वो लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने में जुट गए।संबंधित खबरें
नाविक की कही हुई बात लग गई छू गई दिल को संबंधित खबरें
नवीन श्रीवास्तव का कहना है कि हर रोज की तरह वह एक दिन गंगा घाट पर अपने भाई की तलाश कर रहे थे, इसी दौरान एक शव बहते हुए आया और मैंने उसे रोक कर पलटा क्योंकि उसकी पीठ उपर की तरफ थी और मुंह पानी में लेकिन वह भी मेरा भाई नहीं था इसके बाद मायूस होकर मैं उस शव को वापस नदी में बहाने लगा, इस पर वहां मौजूद एक नाविक ने कहा कि यह अगर आपके भाई का शव होता तो फिर क्या करते? यह बात सुनकर उनका दिल दिमाग निरूत्तर हो गया और बस तभी से ठान लिया कि मैं बनूंगा इन लावारिस शवों का वारिससंबंधित खबरें
बनाया शताक्षी सेवा संस्थानसंबंधित खबरें
नवीन श्रीवास्तव कुंभ मेले से वापस बिहार लौटे और साल 2013 में कुछ साथियों के साथ शताक्षी सेवा संस्थान की स्थापना की, इसी के तहत नवीन ने सदर अस्पताल और अन्य इलाकों में मिलने वाले लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया और तभी से ये सिलसिला जारी है और अब तक वो 350 से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं।संबंधित खबरें
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
End of Article
रवि वैश्य author
मैं 'Times Now नवभारत' Digital में Assistant Editor के रूप में सेवाएं दे रहा हूं, 'न्यूज़ की दुनि...और देखें
End Of Feed
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited