महाराष्ट्र में बदल रही सियासी हवा, अजित पवार ने आरएसएस संस्थापक के स्मारक से बनाई दूरी
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और फडणवीस ने नागपुर में 'माझी लाडकी बहिन' योजना समारोह से पहले नागपुर में हेडगेवार के स्मारक का दौरा किया था। हालांकि, दोनों नेताओं के साथ अजित पवार आरएसएस संस्थापक स्मारक पर नहीं गए।
अजित पवार।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे यहां की सियासी हवा भी बदल रही है। भाजपा सरकार में सहयोगी अजित पवार के रुख को लेकर सियासी अटकलें जारी हैं। इस बीच एनसीपी नेता पवार ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) संस्थापक के स्मारक पर नहीं जाकर अटकलों को और तेज कर दिया है।
हालांकि, शरद पवार की अध्यक्षता वाली राकांपा (एसपी) के विधायक जितेंद्र अव्हाड ने कटाक्ष करते हुए कहा कि लोग अजित पवार के दिखावे में आकर मूर्ख नहीं बनेंगे, क्योंकि वह (अजित) संघ समर्थित भारतीय जनता पार्टी के साथ सत्ता साझा करते हैं। बता दें, शिंदे और फडणवीस ने नागपुर में 'माझी लाडकी बहिन' योजना समारोह से पहले नागपुर में हेडगेवार के स्मारक का दौरा किया।
अलग खेल खेल रहे हैं अजित पवार
अव्हाड ने आरोप लगाया, अजित पवार एक अलग स्तर पर खेल खेल रहे हैं। वह राजनीतिक रूप से भाजपा के साथ सत्ता साझा कर रहे हैं, लेकिन खुद को ऐसे नेता के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं जो स्मारक (आरएसएस संस्थापक के) पर नहीं जाएंगे। वह (अजित पवार) एक राजनेता के रूप में सार्वजनिक रूप से अलग तरह से काम करते हैं और पर्दे के पीछे अलग तरह की राजनीति करते हैं।"
पीएम मोदी को लेकर कही यह बात
उन्होंने सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माफी को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, मोदी ने मूर्ति की घटना के बारे में अपने संबोधन में वीर सावरकर का मुद्दा क्यों उठाया और सावरकर का अपमान करने वालों से माफी क्यों मांगी? सावरकर का मुद्दा लोकसभा चुनाव से पहले खत्म हो गया था। इसका मतलब है कि वह (मोदी) माफी नहीं मांगना चाहते थे। जिस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं कर रहा था, उसे क्यों उठाया जाए?
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