NEET-UG Paper Leak Case: दोबारा परीक्षा के पक्ष में नहीं सरकार, गड़बड़ी सामने आई तो काउंसलिंग के बाद भी रद्द होगी सीट...केंद्र के हलफनामे में क्या-क्या?

NEET-UG Paper Leak Case: केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि यदि किसी उम्मीदवार के बारे में यह पाया जाता है कि उसने किसी गड़बड़ी से लाभ उठाया है तो ऐसे व्यक्ति की काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान या उसके बाद भी किसी भी स्तर पर सीट रद्द कर दी जाएगी।

Neet paper leak.

Neet paper leak.

NEET-UG Paper Leak Case: NEET पेपर लीक मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। केंद्र सरकार ने कहा है कि वह दोबारा परीक्षा कराने के पक्ष में नहीं है। वह यह सुनिश्चित कर रहा है कि 23 लाख अभ्यर्थियों पर अप्रमाणित आशंकाओं के आधार पर दोबारा परीक्षा का बोझ न डाला जाए। इसके साथ ही केंद्र ने यह भी बताया है कि काउंसलिंग प्रक्रिया जुलाई के तीसरे सप्ताह से शुरू होगी और यह चार राउंड में आयोजित की जाएगी। बता दें, नीट मामले में आज यानी 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है।

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि वह यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि गलत तरीके से फायदा उठाने के दोषी किसी भी अभ्यर्थी को कोई लाभ न मिले। यदि किसी उम्मीदवार के बारे में यह पाया जाता है कि उसने किसी गड़बड़ी से लाभ उठाया है तो ऐसे व्यक्ति की काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान या उसके बाद भी किसी भी स्तर पर सीट रद्द कर दी जाएगी।

केंद्र ने बताया कि NEET परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर केंद्र सरकार ने आईआईटी मद्रास के विशेषज्ञों से एनालिसिस करवाया जिसके मुताबिक-

1. इस परीक्षा में छात्रों को मिले अंकों से घंटीनुमा कर्व बन रहा है जो कि अक्सर किसी बड़े स्तर पर कराई गई परीक्षा में दिखता है जिससे यह स्पष्ट है की परीक्षा में किसी भी तरह की अनियमितता नहीं है।

2. नीट परीक्षा में अनियमितता पता करने के लिए परीक्षा केंद्र और शहरों के दो साल के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इसमें टॉप 1 लाख 40 हजार रैंक पाने वाले छात्रों का भी विश्लेषण हुआ, जिनको देश भर की 1 लाख 10 हजार सीटों में एडमिशन मिल सकता था।

3. यह विश्लेषण किसी भी असामान्यता को इंगित करने के लिए पर्याप्त रूप से सूक्ष्म है, चाहे बड़ी संख्या में छात्र कदाचार के कारण उच्च रैंक (शीर्ष 5%) में आ गए हों या किसी विशेष परीक्षा-केंद्र या शहर के छात्र लाभान्वित हुए हों।

4. विश्लेषण से पता चलता है कि न तो बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का कोई संकेत है और न ही किसी स्थानीय स्तर के अभ्यर्थियों को लाभ मिलने के कारण असामान्य अंक प्राप्त हुए हैं।

5. छात्रों द्वारा प्राप्त अंकों में समग्र वृद्धि हुई है। विशेष रूप से 550 से 720 के बीच। यह वृद्धि अलग-अलग शहरों और केंद्रों में देखी गई है। इसका कारण सिलेबस में 25% की कटौती बताई गई है। इसके अलावा उच्च अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवार कई शहरों और कई केंद्रों में फैले हुए हैं, जो किसी गड़बड़ी की बहुत कम आशंका को दर्शाता है।

भविष्य में गड़बड़ी रोकने के लिए सरकार ने उठाए ये कदम

केन्द्र सरकार ने कहा है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक मजबूत बनाया जाए और किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोका जाए, केंद्र सरकार ने NTA द्वारा पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष परीक्षा आयोजित करने के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करने के लिए विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। समिति की अध्यक्षता इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के राधाकृष्णन करेंगे। इसके अलावा समिति में एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया, हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीजे राव, प्रो. राममूर्ति, पंकज बंसल, प्रो. आदित्य मित्तल, गोविंद जायसवाल, प्रो. अमेय करकरे और आईआईटी कानपुर में सहायक प्रोफेसर डॉ. देबप्रिया रॉय शामिल हैं।

NTA ने भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब

NTA ने भी सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि पटना/हजारीबाग मामले में किसी भी ट्रंक में कोई प्रश्न पत्र गायब नहीं पाया गया। NTA ने कहा है कि-

  • प्रत्येक प्रश्न पत्र में एक यूनिक नम्बर होता है और उसे एक विशेष उम्मीदवार को सौंपा जाता है।
  • कोई भी ताला टूटा हुआ नहीं मिला है।
  • एनटीए पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में कुछ भी प्रतिकूल नहीं बताया गया।
  • कमांड सेंटर में सीसीटीवी कवरेज की लगातार निगरानी की गई। कोई अप्रिय घटना या पेपर लीक होने का कोई संकेत नजर नहीं आया।
  • टेलीग्राम पर हुए कथित लीक को NTA ने नकार दिया है।
  • NTA ने कहा 4 मई को टेलीग्राम पर लीक हुए परीक्षा पेपर की तस्वीर दिखाई गई है। लेकिन एक छवि, जिसे एडिट किया गया था 5 मई 2024 को 17:40 बजे का टाइमस्टैम्प प्रदर्शित करती है। इसके अतिरिक्त, टेलीग्राम चैनल की चैट से संकेत मिलता है कि सदस्यों ने वीडियो को नकली बताया।
  • एग्जाम के शुरू से ही लीक की गलत धारणा बनाने के लिए टाइमस्टैम्प में हेरफेर किया गया था।
  • सोशल मीडिया पर टिप्पणियां और चर्चाएं इस बात की पुष्टि करती हैं कि वीडियो में इमेजेस को संपादित किया गया था और 4 मई के लीक का सुझाव देने के लिए तारीख को जानबूझकर संशोधित किया गया था।
  • स्क्रीनशॉट वीडियो में किए गए दावों की मनगढ़ंत प्रकृति को उजागर करते हैं।

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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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