New CJI: जस्टिस संजीव खन्ना आज संभालेंगे मुख्य न्यायाधीश का पदभार, डीवाई चंद्रचूड़ का लेंगे स्थान

जस्टिस संजीव खन्ना आज देश के 51वें प्रधान न्यायाधीश का पद ग्रहण करेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें शपथ दिलाएंगी। वह जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का स्थान लेंगे।

जस्टिस संजीव खन्ना आज संभालेंगे मुख्य न्यायाधीश का पदभार

Chief Justice Of India: सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे जस्टिस संजीव खन्ना आज देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश का पद ग्रहण करेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें शपथ दिलाएंगी। वह जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का स्थान लेंगे जो रविवार को सेवानिवृत्त हो गए। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक होगा। यह नियुक्ति डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा की गई सिफारिश के बाद की गई है, जो 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर 10 नवंबर, 2024 को पद से सेवानिवृत्त हुए है। बता दें, न्यायमूर्ति जस्टिस चंद्रचूड़ ने 8 नवंबर, 2022 को सीजेआई (CJI) का पदभार संभाला था।

कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं जस्टिस खन्ना

18 जनवरी, 2019 से सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे जस्टिस खन्ना कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं जिनमें चुनाव में ईवीएम (EVM) की उपयोगिता बनाए रखना, चुनावी बांड योजना को खारिज करना, अनुच्छेद-370 के निरस्तीकरण के फैसले को कायम रखना और दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए अंतरिम जमानत प्रदान करना शामिल हैं। दिल्ली से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस संजीव खन्ना, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस देव राज खन्ना के पुत्र और शीर्ष कोर्ट के पूर्व जज एचआर खन्ना के भतीजे हैं। वह हाई कोर्ट का जज नियुक्त होने से पहले अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के वकील थे। जस्टिस एचआर खन्ना उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब आपातकाल के दौरान 1976 में एडीएम जबलपुर केस में उन्होंने असहमति वाला फैसला दिया था। संविधान पीठ के बहुमत के फैसले ने आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकार खत्म किए जाने को सही ठहराया था। इस फैसले को न्यायपालिका पर 'काला धब्बा' भी माना जाता है। 14 मई, 1960 को जन्मे जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस ला सेंटर से कानून की पढ़ाई की है। 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में पंजीकृत होने के बाद शुरुआत में उन्होंने तीस हजारी परिसर में जिला अदालतों में और फिर दिल्ली हाई कोर्ट में प्रैक्टिस भी की है।

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