डेटा प्रोटेक्शन लॉ से कमजोर हो सकता है RTI- नीति आयोग ने दी थी चेतावनी, फिर भी बिना सुधार के बिल हुआ पास

नया डेटा सुरक्षा कानून संसद में पारित हो चुका है और राष्ट्रपति से मंजूरी भी मिल चुकी है। हालांकि अभी तक यह लागू नहीं हुआ है, क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए आवश्यक नियमों का इंतजार है।

डाटा प्रोटेक्श कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर विरोध

मुख्य बातें
  • नए डेटा प्रोटेक्शन लॉ से कमजोर हो जाएगा आरटीआई?
  • विपक्ष और सिविल सोसाइटी ने किया विरोध
  • नीति आयोग ने भी इस प्रावधान पर जताई थी आपत्ति
केंद्र के नए डेटा प्रोटेक्शन लॉ को लेकर बहस छिड़ी है। यह लॉ संसद में तो पास हो गया है, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों को विपक्ष और सिविल सोसाइटी के साथ-साथ सरकार के अंदर भी विरोध देखने को मिल रहा है। खुद नीति आयोग इस कानून को लेकर सरकार को चेता चुका है। हालांकि सरकार इसे इग्नोर कर आगे बढ़ चुकी है।

नीति आयोग ने क्या सुझाव दिया था

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार नीति आयोग ने इस कानून के कुछ प्रावधानों का विरोध किया था। खासकर सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम में प्रस्तावित परिवर्तनों को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी। दरअसल डेटा सुरक्षा कानून के तहत आरटीआई अधिनियम की एक धारा में भी संशोधन किया गया है, जिसके प्रभाव से सार्वजनिक अधिकारियों के बारे में व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा करने की अनुमति नहीं होगी, भले ही यह व्यापक सार्वजनिक हित में जरूरी हो। 16 जनवरी, 2023 को, नीति आयोग ने औपचारिक रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) को पत्र लिखकर आग्रह किया कि वह प्रस्तावित कानून को उसके मौजूदा स्वरूप में पारित न करे क्योंकि यह आरटीआई अधिनियम को कमजोर कर सकता है। नीति आयोग ने सुझाव दिया था कि विधेयक में संशोधन किया जाए और नई राय मांगी जाए। नीति आयोग के सुझाव उस समय चल रहे अंतर-मंत्रालयी परामर्श के हिस्से के रूप में आए थे और कानून अभी भी अपने मसौदा चरण में था।
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