ISRO का नया मिशन, चंद्रमा के शिव शक्ति प्वाइंट से लाएगा मिट्टी के नमूने, ऐसे दिया जाएगा अंजाम
इसरो अब एक बड़े मिशन की योजना बना रहा है, जहां मिट्टी या चट्टान के नमूने वापस लाने की कोशिश की जाएगी। अगले पांच या सात साल तक हम इस चुनौती को पूरा किया जाएगा।
इसरो का नया मिशन
ISRO Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रमा से मिट्टी या चट्टान के नमूने एकत्र करने और उन्हें पृथ्वी पर ले लाने के अपने मिशन के लिए तैयार हो रहा है। लूनर सैंपल रिटर्न मिशन (LSRM) नाम की यह महत्वाकांक्षी परियोजना भारत के अंतरिक्ष खोज प्रयासों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इसरो में स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (SAC) के निदेशक नीलेश देसाई ने मिशन के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि इसरो अब एक बड़े मिशन की योजना बना रहा है, जहां हम मिट्टी या चट्टान के नमूने वापस लाने की कोशिश करेंगे। उम्मीद है कि अगले पांच से सात साल तक हम इस चुनौती को पूरा करने में सक्षम होंगे।
LSRM में चार प्रमुख मॉड्यूल
LSRM में चार प्रमुख मॉड्यूल शामिल हैं: ट्रांसफर मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल, एसेंडर मॉड्यूल और री-एंट्री मॉड्यूल। विशेष रूप से यह मिशन इसरो के पारंपरिक दृष्टिकोण से हटकर होगा, जिसमें जटिल ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए दो अलग-अलग लॉन्च व्हीकल का उपयोग किया जाएगा। मिशन के डिजाइन में चंद्र सतह पर शिव शक्ति बिंदु पर नमूना लेने के लिए एक रोबोटिक आर्म सिस्टम शामिल है। इसके बाद नमूनों को एसेंडर मॉड्यूल पर लोड किया जाएगा। चंद्र सतह से उड़ान भरने के बाद एस्केंडर मॉड्यूल ट्रांसफर मॉड्यूल पर डॉक करेगा, जहां एक अन्य रोबोटिक आर्म नमूनों को री-एंट्री मॉड्यूल में ट्रांसफर कर देगी। आखिर में ट्रांसफर और री-एंट्री मॉड्यूल दोनों के पृथ्वी पर लौटने और उतरने का अनुमान है।
इसरो के LSR मिशन की विशेषताएं:
1. 2028 में प्रक्षेपण के लिए निर्धारित मिशन का उद्देश्य चंद्र सतह पर शिव शक्ति बिंदु से मिट्टी/चट्टान के नमूने एकत्र करना है।
2. सम्मेलन से इतर इसरो दो लॉन्च वाहनों को नियोजित करेगा - ट्रांसफर और री-एंट्री मॉड्यूल के लिए जीएसएलवी मार्क- II, और एसेंडर और लैंडर मॉड्यूल के लिए जीएसएलवी मार्क- III
3. यह परियोजना अगस्त में सफल चंद्रयान 3 की तरह एक चंद्र दिवस (पृथ्वी पर 14 दिनों के बराबर) के लिए डिजाइन की गई है, जो चंद्रमा की सतह, मिट्टी और नमूनों के अध्ययन पर केंद्रित है।
4. इसरो का (LSRM) सात साल की यात्रा के बाद ओएसआईआरआईएस-आरईएक्स (OSIRIS-REx ) अंतरिक्ष यान द्वारा पूरा किए गए पृथ्वी के पास वाले क्षुद्रग्रह बेन्नु (Bennu) से नमूनों के नासा के हालिया जमा किए गए नमून के साथ समानताएं दिखाता है।
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