महुआ मोइत्रा के बिगड़े बोल, नए संसद भवन का उद्घाटन मोदी के निजी मकान का गृहप्रवेश नहीं
नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बजाय प्रधानमंत्री के करने पर आपत्ति जताते हुए टीएमसी ने सभी विपक्षी दलों के साथ इस कार्यक्रम का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
Mahua Moitra: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने नए संसद भवन का उद्घाटन करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले को लेकर बुधवार को उन पर निशाना साधा। महुआ ने कहा कि यह उनके खुद के पैसों से बने मकान का गृह प्रवेश नहीं है। प्रधानमंत्री 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं। मोइत्रा ने एक ट्वीट में कहा, ‘पदानुक्रम में भारत के राष्ट्रपति पहले स्थान पर, उपराष्ट्रपति दूसरे स्थान पर और प्रधानमंत्री तीसरे स्थान पर हैं। सरकार संवैधानिक शिष्टता के प्रति बेपरवाह है। यह मोदीजी के खुद के पैसों से निर्मित मकान का गृह प्रवेश नहीं है। तृणमूल कांग्रेस 28 मई के (उद्घाटन) कार्यक्रम में शामिल नहीं होगी। भाजपा को शुभकामनाएं।’
नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बजाय प्रधानमंत्री के करने पर आपत्ति जताते हुए टीएमसी ने सभी विपक्षी दलों के साथ इस कार्यक्रम का बहिष्कार करने का फैसला किया है। खास तौर पर कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताते हुए विपक्ष को एकजुट किया है।
विपक्षी दल करेंगे बहिष्कार
कांग्रेस समेत विपक्ष के 19 दलों ने बुधवार को कहा कि वे संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का सामूहिक बहिष्कार करेंगे क्योंकि इस सरकार में संसद से 'लोकतंत्र की आत्मा' को निकाल दिया गया है। जाहिर है कि उद्घाटन समारोह पर विवाद गहरा गया है। विपक्षी दलों को समारोह में आने के लिए मनाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। नए संसद भवन पर शुरू से ही विवाद रहा है। भवन के शिलान्यास के दौरान विपक्ष के कई दल समारोह से दूर रहे। अब जब इसका उद्घाटन होना है तो भी विपक्ष सरकार पर हमलावर है।
राहुल ने भी बोला हमला
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी नए संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति को नहीं बुलाए जाने को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। राहुल ने कहा कि संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों नहीं कराया जाना और समारोह में भी उन्हें आमंत्रित नहीं किया जाना देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है। उन्होंने यह भी कहा कि संसद अहंकार के इंटों से नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों से बनती है।
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