अगले 25 साल सिर्फ देश को समर्पित करें, कन्याकुमारी में ध्यान शिविर के बाद PM Modi ने देशवासियों के नाम लिखा पत्र

PM Narendra Modi Note After Meditating At Vivekananda Rock Memorial: प्रधानमंत्री मोदी ने अपील करते हुए कहा, हम अगले 25 वर्ष केवल और केवल राष्ट्र के लिए समर्पित करें। हमारे ये प्रयास आने वाली पीढ़ियों और आने वाली शताब्दियों के लिए नए भारत की सुदृढ़ नींव बनकर अमर रहेंगे। मैं देश की ऊर्जा को देखकर ये कह सकता हूँ कि लक्ष्य अब दूर नहीं है। आइए, तेज कदमों से चलें...मिलकर चलें, भारत को विकसित बनाएं।

PM Modi

PM Narendra Modi Note After Meditating At Vivekananda Rock Memorial: कन्याकुमारी में 45 घंटे के ध्यान शिविर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों के नाम एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने भारत की तरक्की और उसकी क्षमता पर विस्तार से विचार किया है। इसके साथ ही उन्होंने 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए देशवासियों से एकता और समर्पण की अपील की है। पीएम मोदी ने देशवासियों से अपील करते हुए कहा है कि आने वाले 25 साल सिर्फ देश के लिए समर्पित करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत नींव तैयार की जा सके और भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सके।

पढें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्र - मेरे प्यारे देशवासियों,

लोकतन्त्र की जननी में लोकतन्त्र के सबसे बड़े महापर्व का एक पड़ाव आज 1 जून को पूरा हो रहा है। तीन दिन तक कन्याकुमारी में आध्यात्मिक यात्रा के बाद, मैं अभी दिल्ली जाने के लिए हवाई जहाज में आकर बैठा ही हूं...काशी और अनेक सीटों पर मतदान चल ही रहा है। कितने सारे अनुभव हैं, कितनी सारी अनुभूतियां हैं...मैं एक असीम ऊर्जा का प्रवाह स्वयं में महसूस कर रहा हूं।

वाकई, 24 के इस चुनाव में, कितने ही सुखद संयोग बने हैं। अमृतकाल के इस प्रथम लोकसभा चुनाव में मैंने प्रचार अभियान 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम की प्रेरणास्थली मेरठ से शुरू किया। माँ भारती की परिक्रमा करते हुए इस चुनाव की मेरी आखिरी सभा पंजाब के होशियारपुर में हुई। संत रविदास जी की तपोभूमि, हमारे गुरुओं की भूमि पंजाब में आखिरी सभा होने का सौभाग्य भी बहुत विशेष है। इसके बाद मुझे कन्याकुमारी में भारत माता के चरणों में बैठने का अवसर मिला। उन शुरुआती पलों में चुनाव का कोलाहल मन-मस्तिष्क में गूंज रहा था। रैलियों में, रोड शो में देखे हुए अनगिनत चेहरे मेरी आंखों के सामने आ रहे थे। माताओं-बहनों-बेटियों के असीम प्रेम का वो ज्वार, उनका आशीर्वाद...उनकी आंखों में मेरे लिए वो विश्वास, वो दुलार...मैं सब कुछ आत्मसात कर रहा था। मेरी आंखें नम हो रही थीं...मैं शून्यता में जा रहा था, साधना में प्रवेश कर रहा था।

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