धर्मेंद्र प्रधान नहीं, तो कौन बनेगा ओडिशा का पहला भाजपाई मुख्यमंत्री?
Next CM of Odisha: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में ओडिशा से ताल्लुक रखने वाले भाजपा नेता धर्मेंद्र प्रधान को एक बार फिर कैबिनेट में शामिल किया गया है। मंत्री पद की शपथ लेने का साथ ही उन अटकलों पर लगाम लग गया, जिनमें ये कहा जा रहा था कि मुख्यमंत्री पद की रेस में प्रधान का नाम भी शामिल है।
केंद्र की राजनीति में ही नजर आएंगे धर्मेंद्र प्रधान।
Odisha New Chief Minister: धर्मेंद्र प्रधान के कंधों पर ओडिशा की जिम्मेदारी नहीं होगी, वो केंद्रीय मंत्री के तौर पर ही नजर आते रहेंगे और अपनी जिम्मेदारियां उठाते रहेंगे। रविवार को इस बात पर उस वक्त मुहर लग गई, जब उन्होंने मोदी सरकार 3.0 के मंत्रिमंडल के लिए कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। दरअसल, ओडिशा विधानसभा चुनाव (Odisha Assembly Election 2024) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को बड़ी सफलता मिली है। जिसके बाद से एक ही सवाल है कि ओडिशा का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा?
केंद्र की राजनीति में ही नजर आएंगे धर्मेंद्र प्रधान
पूर्व पेट्रोलियम और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा चुनाव 2024 में ओडिशा की संबलपुर सीट से 1 लाख, 19 हजार, 836 मतों से जीत दर्ज की है। वो 2004 में पहली ओडिशा के देवगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए थे। इसके बाद 2012 में बिहार से और 2018 में मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद थे। केंद्रीय मंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद ये साफ हो गया है कि धर्मेंद्र प्रधान केंद्र की राजनीति में ही नजर आएंगे। ओडिशा के सीएम बनने की अटकलों पर लगाम लग गया है।
कैसा रहा धर्मेंद्र प्रधान का सियासी सफर?
धर्मेंद्र प्रधान के पेट्रोलियम और गैस मंत्री रहते हुए ही दुनिया की सबसे बड़ी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम PAHAL चलाई गई थी। इसके अलावा भी उनके कार्यकाल में कई कार्य उनके कार्यकाल में हुए। धर्मेंद्र प्रधान ने उत्कल यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन की है। उनका राजनीतिक करियर 1983 में ABVP से शुरू हुआ, जहां उन्होंने सचिव के तौर पर काम किया। उन्होंने कई राज्यों में पार्टी को मजबूत करने का काम किया।
ओडिशा के चुनावी नतीजों में भाजपा की बंपर जीत
भारतीय जनता पार्टी ने 4 जून, 2024 को हुई मतगणना में राज्य की 147 विधानसभा सीटों में से 78 पर जीत दर्ज करके बहुमत हासिल किया। बता दें, राज्य में बहुमत का आंकड़ा 74 सीटों का है। इस तरह से राज्य में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) के नेतृत्व में पिछले 24 वर्षों से चला आ रहा बीजू जनता दल का राज खत्म हो गया। बीजू जनता दल (BJD) को विधानसभा में 51 सीटें ही मिल पायीं।
लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने ओडिशा में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और राज्य की कुल 21 में से 20 लोकसभा सीटें जीतीं, जबकि एक सीट कांग्रेस की झोली में गई। इस तरह से विधानसभा में बहुमत गंवाने के साथ बीजेडी लोकसभा में भी शून्य पर आ गई। ओडिशा विधानसभा में भाजपा को बहुमत तो मिल गया, लेकिन उनका मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
ओडिशा में पहली भाजपा सरकार का शपथग्रहण कब?
ओडिशा में पहली भाजपा सरकार के शपथग्रहण समारोह की तारीख 10 जून की जगह 12 जून कर दी गई है। पार्टी नेता जतिन मोहंती और विजयपाल सिंह तोमर ने रविवार को इसकी पुष्टि की। मोहंती ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यस्तता के कारण कार्यक्रम स्थगित किया गया है। मोदी ने रविवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर बना हुआ है सस्पेंस
ओडिशा के नवनिर्वाचित सदस्यों की पहली विधायक दल की बैठक अब 11 जून को तय की गई है। चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने कहा था कि ओडिशा की पहली भाजपा सरकार 10 जून को शपथ लेगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सामल ने भी शनिवार को इसकी पुष्टि की थी। पार्टी सूत्रों ने बताया कि तारीख बदलने का फैसला रविवार को लिया गया। इस बीच, नए मुख्यमंत्री को लेकर अब भी रहस्य बना हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के वरिष्ठ नेता और नवनिर्वाचित विधायक सुरेश पुजारी नयी दिल्ली पहुंचे, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह शीर्ष पद के प्रमुख दावेदारों में से एक हो सकते हैं।
नवनिर्वाचित विधायक सुरेश पुजारी को जानिए
पुजारी 2019 के चुनाव में बरगढ़ से लोकसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने हाल ही में ब्रजराजनगर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता। उनके समर्थकों का मानना है कि उन्हें केंद्रीय नेताओं के साथ चर्चा के लिए नयी दिल्ली बुलाया गया है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अभी तक मुख्यमंत्री पद के लिए किसी नेता के नाम पर अंतिम फैसला नहीं कर पाया है, लेकिन पार्टी की ओडिशा इकाई के अध्यक्ष मनमोहन सामल ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा कि स्पष्ट तस्वीर सामने आने के लिए दो दिन और इंतजार करना होगा।
नयी दिल्ली से लौटने के बाद सामल ने कहा कि भाजपा संसदीय बोर्ड अपनी बैठक में मुख्यमंत्री के बारे में निर्णय लेगा। भाजपा ने 147 सदस्यीय विधानसभा में 78 सीट जीतकर सहज बहुमत हासिल किया। पार्टी ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए बिना मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था। इस बीच, भुवनेश्वर के जनता मैदान में शपथग्रहण समारोह के आयोजन की तैयारियां चल रही हैं।
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