Yasin Malik: अब यासीन मलिक को होगी फांसी? उम्रकैद की सजा से नाखुश NIA पहुंची हाईकोर्ट
Yasin Malik: एनआईए ने शुक्रवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। एनआईए ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग की थी। लेकिन एनआईए की ये मांग तब खारिज हो गई थी।
यासीन मलिक को फांसी की सजा दिलाने के लिए NIA पहुंची हाईकोर्ट
Yasin Malik: आतंकी यासीन मलिक को फांसी की सजा दिलाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गई है। एनआईए शुरू से ही यासीन मलिक को फांसी की सजा दिलाना चाहती थी, लेकिन निचली अदालत से उसे उम्र कैद की ही सजा सुनाई थी, जिसके बाद अब एनआईए हाईकोर्ट पहुंची है।
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सोमवार को होगी सुनवाई
एनआईए ने शुक्रवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। एनआईए ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया गया था। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच सोमवार को NIA की याचिका पर सुनवाई करेगी।
यासीन ने आरोपों का नहीं किया था विरोध
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक को मई 2022 में दिल्ली की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यासीन को एक आतंकी फंडिंग मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था। यासीन ने आरोपों का विरोध नहीं करने का फैसला किया और इसके बजाय दोषी ठहराया।
क्या है मामला
जिन अन्य पर आरोप लगाए गए उनमें हाफिज मुहम्मद सईद, शब्बीर अहमद शाह, हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सलाहुद्दीन, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद शाह वटाली, शाहिद-उल-इस्लाम, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान और फारूक अहमद डार शामिल थे। यह मामला आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों से जुड़ा हुआ है। जिसने 2017 में कश्मीर घाटी को अशांत कर दिया था। मलिक को एनआईए ने 2019 में एक मामले में गिरफ्तार किया था।
कोर्ट ने क्या कहा था
मृत्युदंड के लिए एनआईए के अनुरोध को खारिज करते हुए निचली अदालत ने कहा था कि मलिक का उद्देश्य भारत से जम्मू-कश्मीर को बलपूर्वक अलग करना था।
निचली अदालत ने कहा था-"इन अपराधों का उद्देश्य भारत पर प्रहार करना और भारत संघ से जम्मू-कश्मीर को बलपूर्वक अलग करना था। अपराध अधिक गंभीर हो जाता है क्योंकि यह विदेशी शक्तियों और आतंकवादियों की सहायता से किया गया था। अपराध की गंभीरता इस तथ्य से और बढ़ जाती है कि यह एक कथित शांतिपूर्ण राजनीतिक आंदोलन की आड़ में किया गया था।"
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शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र...और देखें
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