जिस निगम बोध घाट पर हुआ मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार, क्या है उसका इतिहास? सियासत की वजह समझिए

Nigambodh Ghat: मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी वार-पलटवार शुरू हो गया है। वजह ये है कि उनका अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर कराया गया। क्या आप जानते हैं कि दिल्ली का सबसे पुराना और व्यस्ततम श्मशान घाट यही है। जो पक्षी प्रेमियों का पसंदीदा स्थल माना जाता है।

निगम बोध घाट: दिल्ली का सबसे पुराना व व्यस्ततम श्मशान घाट

Delhi's Busiest Cremation Ground: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के राजकीय अंतिम संस्कार के स्थान के रूप में चर्चा में रहा निगम बोध घाट, यमुना नदी के तट पर स्थित है, जो न केवल दिल्ली का सबसे पुराना, सबसे बड़ा और व्यस्ततम श्मशान घाट है, बल्कि पक्षी प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए भी पसंदीदा स्थल है। ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थापना इंद्रप्रस्थ के राजा युधिष्ठिर ने की थी। यह श्मशान घाट पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली से लेकर भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य सुंदर सिंह भंडारी तक कई कद्दावर नेताओं के अंतिम संस्कार का गवाह बना है।

जानबूझकर मनमोहन सिंह का अपमान करने का आरोप

भारत को आर्थिक उदारीकरण के पथ पर ले जाने वाले सिंह के पार्थिव शरीर का शनिवार को यहां अंतिम संस्कार किया गया। कांग्रेस ने मांग की थी कि अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर किया जाए जहां सिंह का स्मारक बनाया जा सके। लेकिन सरकार ने कहा कि उनका अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। कांग्रेस ने इस निर्णय को ‘‘भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री का जानबूझकर किया गया अपमान’’ बताया। निगम बोध घाट पर भारतीय जनसंघ के नेता दीनदयाल उपाध्याय, पूर्व उपराष्ट्रपति कृष्णकांत और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित समेत कई दिग्गज नेताओं का अंतिम संस्कार किया गया।

कैसे दिल्ली के इस घाट का नाम पड़ा था निगम बोध?

निगम बोध घाट में यमुना नदी तक जाने वाले कई सीढ़ीदार घाट हैं। यहां पर विद्युत शवदाह गृह का निर्माण 1950 के दशक में किया गया था। 2000 के दशक की शुरुआत में यहां सीएनजी-संचालित शवदाह गृह बनाया गया था। किंवदंतियों के अनुसार, घाट को देवताओं का आशीर्वाद मिला हुआ है। एक ग्रंथ में वर्णित ऐसी ही एक किंवदंती के अनुसार 5,500 साल से भी पहले, महाभारत के समय में, जब देवता पृथ्वी पर विचरण कर रहे थे, ब्रह्मा ने घाट पर स्नान किया और अपनी दिव्य स्मृति पुनः प्राप्त की-जिसके कारण घाट को निगम बोध नाम मिला, जिसका अर्थ है पुनः ज्ञान प्राप्त करना।

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