'आप करें तो रासलीला और हम करें तो कैरेक्टर ढीला', लोकसभा में निशिकांत दुबे का कांग्रेस पर तंज

Nishikant Dubey News : चर्चा के क्रम में दुबे ने राज्य सरकारों को बर्खास्त करने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि साल 1976 में भ्रष्टाचार के आरोप में कांग्रेस ने करुणानिधि की सरकार को बर्खास्त कर दिया। 1980 में जब केंद्र में इंदिरा जी की सरकार बनी तो यही डीएमके उनके साथ हो गई।'

Nishikant Dubey News : लोकसभा में मंगलवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत हंगामेदार रही। चर्चा की शुरुआत कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने की। गोगोई ने मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'चुप्पी' पर सवाल किए और अविश्वास प्रस्ताव लाने की वजह बताई। सदन को संबोधित करते हुए गोगोई ने मणिपुर हिंसा के लिए मणिपुर एवं केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया। इस दौरान सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच नोकझोंक भी देखने को मिली। गोगोई के बाद सरकार की तरफ से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने विपक्ष पर पलटवार किया।

दुबे के बयान पर लगे ठहाके

चर्चा के क्रम में दुबे ने राज्य सरकारों को बर्खास्त करने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि साल 1976 में भ्रष्टाचार के आरोप में कांग्रेस ने करुणानिधि की सरकार को बर्खास्त कर दिया। 1980 में जब केंद्र में इंदिरा जी की सरकार बनी तो यही डीएमके उनके साथ हो गई।' भाजपा सांसद ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि 'आप करें तो रासलीला और हम करें तो कैरेक्टर ढीला'। दुबे के इस बयान पर सदन ठहाकों से गूंज गया।

गठबंधन का पूरा नाम कुछ ही लोग बता पाएंगे-निशिकांत

दुबे ने राहुल गांधी के बारे में सवाल किया कि वह विपक्ष की ओर से चर्चा की शुरुआत करने वाले थे लेकिन वह नहीं आए। दुबे ने कहा कि हम उन्हें सुनना चाहते थे। भाजपा सांसद ने तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष के कुछ लोग ही 'INDIA'गठबंधन का पूरा नाम बता पाएंगे। इस गठबंधन शामिल दल एक-दूसरे से लड़ रहे हैं।

गौरव गोगोई ने की चर्चा की शुरुआत

इससे पहले गौरव गोगोई ने कहा कि दुख की घड़ी में पूरा सदन मणिपुर के साथ है। मणिपुर हिंसा मामले में अविश्वास प्रस्ताव लाना हमारी मजबूरी थी। हम चाहते थे कि पीएम सदन में आएं और अपनी बात रखें। क्योंकि इस हिंसा पर उन्होंने चुप्पी साध रखी है। गोगोई ने कहा कि हमारे पास पीएम के लिए तीन सवाल हैं। पहला-उन्होंने अब तक मणिपुर की यात्रा क्यों नहीं की? दूसरा-मणिपुर पर चुप्पी तोड़ने में उन्हें करीब 80 दिन क्यों लगे? और तीसरा मणिपुर के सीएम को अब तक हटाया क्यों नहीं गया? गोगोई ने आगे कहा कि पीएम को यह मानना पड़ेगा कि डबल इंजन की उनकी सरकार नाकाम हुई है। सांसद ने दावा किया कि मणिपुर हिंसा में अब तक 150 लोगों की मौत हो गई, करीब 5000 घर जला दिए गए। 60 हजार के करीब लोग राहत शिविरों में हैं। हिंसा मामले में करीब 6500 एफआईआर दर्ज हुई है।
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