जीतन राम मांझी के अलग होने पर नीतीश कुमार, हां, मैंने कहा कि विलय करिए नहीं तो जा सकते हैं
Nitish Kumar on Jitan Ram Manjhi: बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि हां उन्होंने जीतन राम मांझी से कहा था कि या तो 'हम' का विलय करिए या अलग हो जाइए। जीतन राम मांझी ने अलग होने का फैसला किया।
जीतन राम मांझी पर भड़के सीएम नीतीश कुमार
Nitish Kumar on Jitan Ram Manjhi: जीतन राम मांझी की पार्टी अब नीतीश कुमार सरकार की हिस्सा नहीं है। उनके बेटे संतोष सुमन(Santosh Suman) का इस्तीफा हो चुका है। इस्तीफे से पहले संतोष सुमन ने कहा कि दरअसल जेडीयू (JDU)के नेता हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (Hidustani Awam Morcha)के विलय की बात कर रहे थे। वे लोग विलय के लिए बेजा दबाव बना रहे थे। हमारी पार्टी को यह दबाव पसंद नहीं था। लिहाजा सरकार से अलग होने का फैसला किया। हमारी लड़ाई अकेले ही जारी रहेगी। अब इस तरह के आरोपों पर सीएम नीतीश कुमार ने चुप्पी तोड़ी और कहा कि जीतन राम मांझी की पार्टी सरकार में नहीं है, अच्छा ही हुआ। अगर वो हमारे साथ होते तो बीजेपी को एक एक बात बताते। सभी लोग जानते हैं कि वो बीजेपी(BJP) के नेताओं से लगातार मिल रहे थे और हमारे साथ भी बने हुए थे। सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें सीएम बनाया। अब वो क्या कह रहे हैं पूरी दुनिया जानती है। मैंने उनसे कहा था कि या तो आप अपनी पार्टी का विलय कर दीजिए या हमसे अलग हो जाइए और उन्होंने अलग होने का फैसला किया।
'विलय या बाहर जाने का था विकल्प'
नीतीश कुमार ने कहा कि 2014 का साल सबको याद है। जब उन्होंने इस्तीफा दिया तो कई तरह के विकल्प आए कि किसे सीएम बनाया जाय। लेकिन उन्होंने सोच लिया था कि एससी समाज से जुड़े किसी शख्स को सीएम बनाना है और जीतन राम मांझी को मौका दिया। लेकिन वो क्या कुछ करने लगे थे। सभी लोग जानते हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप बाद के माहौल को देखें तो उनकी पार्टी को फिर मौका दिया। लेकिन वो बीजेपी के नेताओं से बार बार मिल रहे थे। आखिर इसका क्या मतलब था। आप सब जानते हैं कि अभी विपक्षी दलों के नेताओं से बैठक होने वाली है। अगर वो साथ होते तो बीजेपी को सब बताते। इसे कैसे मंजूप किया जा सकता है। लिहाजा उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि आप या तो पूरी तरह साथ आ जाएं तो अपने लिए अलग रास्ता तलाश लें।
क्या कहते हैं जानकार
जानकार कहते हैं कि अगर आप नीतीश कुमार के बयान को देखें तो उन्होंने इस बात को माना कि वो हम पर विलय का दबाव बना रहे थे। यह आरोप लगाते हुए संतोष सुमन ने नीतीश कुमार सरकार से इस्तीफा दिया था। इसके साथ ही नीतीश कुमार ने एक तरह से कहा कि जीतन राम मांझी तो बीजेपी के एजेंट ही थे। विपक्षी दलों की बैठक से अलग होना हमारे लिए अच्छा ही था। इन दोनों बयान के बाद मांझी अब बिना संकोच एनडीए के साथ जा सकते हैं। मांझी को जनता या अपने वोटर्स को समझाने में आसानी होगी कि किस तरह से महादलित की पार्टी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा था। उन्होंने जो फैसला किया उसमें ही हमारे समाज का भविष्य सुरक्षित है। वहीं बीजेपी इस बात को लेकर हमलावर होगी कि जेडीयू को महादलित समाज के हितों की चिंता नहीं है। बल्कि अपनी सरकार बनाने, बचाने के लिए नीतीश कुमार किसी को भी ढाल की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।
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