बिहार की जातिवार गणना के बाद नीतीश का बढ़ा रुतबा, लोकसभा चुनाव से पहले खेला 'ट्रंप कार्ड'

Bihar Caste Census Report: आबादी की यह रिपोर्ट ओबीसी को आरक्षण की तय अधिकतम सीमा 50 फीसदी को बढ़ाए जाने की मांग करेगी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि देश में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं हो सकता। हो सकता है कि आरक्षण की सीमा बढ़ाए जाने को लेकर राजीतिक पार्टियों में टकराव देखने को मिले लेकिन इसकी संभावना कम ही है कि आरक्षण की तय सीमा बढ़ाए जाने का विरोध कोई भी राजनीतिक दल करेगा।

nitish kumar

जातिवार गणना कराने के बाद नीतीश कुमार का राजनीतिक कद बढ़ा।

Bihar Caste Census Report: बिहार में जातिवार गणना की रिपोर्ट सामने आने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में हलचल होनी शुरू हो गई है। विपक्ष इसमें अपने लिए एक बड़ा सियासी फायदा देख रहा है। तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संभल कर बयान दे रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जातिवार गणना का जो दांव चला है, राजनीति के जानकार उसे 'टंप कार्ड' के रूप में देख रहे हैं। जानकारों का मानना है कि बिहार की जातिवार रिपोर्ट के बाद अन्य राज्यों एवं राष्ट्रीय स्तर पर इसी तरह की जातिगत गणना की मांग जोर पकड़ेगी।

रिपोर्ट में पिछड़ी जातियां करीब 63 फीसदी

जाहिर तौर पर बिहार जातिवार गणना की रिपोर्ट में पिछड़ी जातियों (करीब 63 फीसदी) और अनुसूचित जाति (करीब 20 प्रतिशत) आबादी सामने आई है, उससे सामाजिक एवं आर्थिक न्याय की मांग नए सिरे से जोर पकड़ेगी। ओबीसी समुदाय अपने लिए ज्यादा आरक्षण की मांग कर सकता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में ओबीसी का एक बड़ा तबका भाजपा के साथ चला गया, इसका सियासी नुकसान विपक्ष को हुआ। विपक्ष की कोशिश ओबीसी को अपनी तरफ लाने की है। राहुल गांधी सहित विपक्ष का कहना है कि 'जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी'।

आरक्षण बढ़ाए जाने की मांग जोर पकड़ सकती है

आबादी की यह रिपोर्ट ओबीसी को आरक्षण की तय अधिकतम सीमा 50 फीसदी को बढ़ाए जाने की मांग करेगी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि देश में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं हो सकता। हो सकता है कि आरक्षण की सीमा बढ़ाए जाने को लेकर राजीतिक पार्टियों में टकराव देखने को मिले लेकिन इसकी संभावना कम ही है कि आरक्षण की तय सीमा बढ़ाए जाने का विरोध कोई भी राजनीतिक दल करेगा। तेजस्वी यादव कह चुके हैं कि यह रिपोर्ट विकास की योजनाएं बनाने में मदद करेगी।

भाजपा पर रुख स्पष्ट करने का दबाव बढ़ेगा

मोदी सरकार महिला आरक्षण विधेयक पारित कर इसका श्रेय ले रही है। महिलाओं के बीच भाजपा की इस बढ़त की काट विपक्ष ढूंढ रहा था। अब ओबीसी रिपोर्ट एवं उसके आरक्षण जरिए वह भाजपा को बैकफुट पर करने की कोशिश करेगा। विपक्ष चाहेगा कि देश भर में जातिवार गणना कराए जाने को लेकर भाजपा अपना रुख स्पष्ट करे। चूंकि बिहार में भाजपा इस गणना का समर्थन कर चुकी है लेकिन साल 2021 में उसने सुप्रीम कोर्ट में जातिवार गणना कराए जाने का विरोध किया था। यदि भगवा पार्टी अब इस पहल के खिलाफ जाती है तो विपक्ष उसे ओबीसी विरोधी बताएगा।

विधानसभा चुनाव में इसे मुद्दा बना सकता है विपक्ष

जाहिर है कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले नीतीश कुमार ने एक बड़ा दांव खेला है। साल 1931 के बाद देश में जातिवार गणना की रिपोर्ट सामने लाने वाले वह पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं। इसका श्रेय भी उन्हें मिल रहा है। हाल के दिनों में 'इंडिया' गठबंधन में नीतीश कुमार का रसूख एवं दबदबा थोड़ा कमजोर हुआ है लेकिन इस सर्वे रिपोर्ट के बाद विपक्ष की राजनीति में वह दोबारा वापसी करते दिख रहे हैं। राष्ट्रीय राजनीति एवं मीडिया में नीतीश कुमार की चर्चा है। लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना एवं मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इन चुनावों में विपक्ष देश भर में जातिवार गणना कराए जाने को एक बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर सकता है।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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