बिहार को विशेष राज्य का दर्जा जल्द नहीं मिला तो आंदोलन करेंगे नीतीश, केंद्र को दिया अल्टीमेटम
Nitish Kumar : पटना में नीतीश कुमार ने कहा, 'हमने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए कई कल्याणकारी पहल की योजना बनाई है और इसकी लागत बिहार जैसे गरीब राज्य के लिए कई करोड़ रुपये होगी। हमें इसे पांच साल से अधिक समय में खर्च करना होगा।'
नीतीश ने एक बार फिर की बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग।
Nitish Kumar : बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गंभीर हो गए हैं। बिहार के सीएम ने गुरुवार को मोदी सरकार को एक तरह का अल्टीमेटम दे दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने अगर जल्द ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया तो वह प्रदेश व्यापी आंदोलन शुरू करेंगे। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग नीतीश कुमार लंबे समय से करते आ रहे हैं। उनका कहना है कि तेजी से आगे एवं विकास करने के लिए राज्य को यह खास दर्जा मिलना जरूरी है।
समर्थन नहीं करने वालों को राज्य में दिलचस्पी नहीं-नीतीश
पटना में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा, 'जो लोग मांग का समर्थन नहीं करते, उन्हें राज्य के विकास में कोई दिलचस्पी नहीं है।' उन्होंने कहा कि बिहार विधानमंडल ने जाति सर्वेक्षण के आधार पर सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में वंचित जातियों के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का प्रावधान करने वाले विधेयकों को हाल में मंजूरी दी है, जिससे कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो जाएगा।
हमने कई योजनाएं बनाई-सीएम
नीतीश ने कहा, 'हमने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए कई कल्याणकारी पहल की योजना बनाई है और इसकी लागत बिहार जैसे गरीब राज्य के लिए कई करोड़ रुपये होगी। हमें इसे पांच साल से अधिक समय में खर्च करना होगा।'
'बिहार को तुरंत यह दर्जा चाहिए'
उन्होंने कहा, 'अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पूरी हो जाती है, तो हम ढाई साल के भीतर संबंधित लोगों को सभी लाभ प्रदान करने में सक्षम होंगे। इसलिए, बिहार को तुरंत यह दर्जा चाहिए।' मुख्यमंत्री ने कहा कि आरक्षण से संबंधित दो विधेयकों को राज्यपाल राजेंद्र अर्लेकर के पास उनकी सहमति के लिए भेजा गया है।
उम्मीद है राज्यपाल दोनों विधेयकों पर हस्ताक्षर करेंगे-नीतीश
उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि राज्यपाल जल्द ही दोनों विधेयकों पर हस्ताक्षर करेंगे। उसके तुरंत बाद, हम इसे समाज के सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए लागू करेंगे।' दोनों विधेयकों में अनुसूचित जाति का आरक्षण 16 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति का आरक्षण एक से बढ़ाकर दो फीसदी, अत्यंत पिछड़ी जाति (ईबीसी) का आरक्षण 18 से बढ़ाकर 25 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का आरक्षण 15 से बढ़ाकर 18 फीसदी करने का प्रावधान किया गया है।
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