Bihar News: नीतीश ने तो काट ली कन्नी, अब बिहार में कांग्रेस का क्या होगा? चिंताओं के बीच हो रही समीक्षा

Bihar Politics: नीतीश कुमार ने एक बार फिर आरजेडी और कांग्रेस की सहयोग वाली सरकार से नाता तोड़कर लोकसभा चुनाव से पहले सियासी समीकरण बदल दिया है। इसी बीच कांग्रेस ने 'महागठबंधन' से नीतीश के निकलने के बाद बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम की समीक्षा की। सवाल यही है अब बिहार में विपक्ष का क्या होगा?

Nitish Kumar Vs Congress

बिहार में अब कांग्रेस का क्या होगा?

Congress Plan in Bihar: बिहार में विपक्ष और विपक्षी दलों के गठबंधन का क्या होगा? ये सवाल इसलिए क्योंकि हाल ही में नीतीश कुमार ने लालू यादव की पार्टी आरजेडी और कांग्रेस को ऐसा गच्चा दिया, जिसका सीधा असर आगामी लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा। कांग्रेस अपनी अस्तित्व की तलाश में लाख कोशिशें कर रही है, राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के जरिए पार्टी को मजबूत करने की कोशिशें कर रहे हैं, तो वहीं बिहार में लगे झटके को लेकर खुद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे रणनीति तैयार कर रहे हैं।

सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस की अहम बैठक

कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) अध्यक्ष नीतीश कुमार के ‘महागठबंधन’ सरकार से अलग होने के बाद बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम की समीक्षा के लिए शनिवार को एक बैठक की। पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि यहां अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) मुख्यालय में आयोजित बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, बिहार के पार्टी प्रभारी मोहन प्रकाश, पीसीसी प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह, कई पार्टी विधायक और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए।

नीतीश कुमार ने बिहार में विपक्ष को दिया गच्चा

जानकारी के अनुसार इस बैठक के दौरान नेताओं ने बिहार के नवीनतम राजनीतिक घटनाक्रम की समीक्षा की और कुमार के अब विपक्षी ‘INDIA’ गठबंधन में नहीं होने के मद्देनजर भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा की। नीतीश कुमार ने नाटकीय उलटफेर करते हुए रविवार को रिकॉर्ड नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने ‘महागठबंधन’ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी के साथ नयी सरकार बनाई। कुमार करीब 18 महीने पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और वाम दलों के ‘महागठबंधन’ के साथ सरकार बनाई थी।

नीतीश और भाजपा का साथ कितना चिंताजनक?

बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं, पिछली बार जब भाजपा और जदयू ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था तो एनडीए ने 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। विपक्ष को महज एक सीट से संतुष्ट करना पड़ा था। किशनगंज की सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। अगर पिछली बार वाला फॉर्मूला इस बार भी काम कर जाता है तो जाहिर है कि आरजेडी और कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी टेंशन की बात होगी।
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