मेडिकल कॉलेज में बढ़ गए रैगिंग और आत्महत्या के मामले ! अब उठाया गया ये कदम

नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, उसने डॉ अरूणा वी वानीकर की अध्यक्षता में एंटी रैगिंग कमेटी का गठन कर दिया है। और उसने अपनी पहली मीटिंग भी कर ली है। और इस मीटिंग में एक बात जो साफ तौर पर सामने आई है, कि मेडिकल कॉलेज में रैगिंग के मामले में बढ़े हैं और उसकी वजह से आत्महत्या के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी हुई है।

Ragging And Suicides In Medical College Students

फाइल फोटो: एनएमसी ने बनाई कमेटी

NMC On Ragging:क्या रैगिंग के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और उसकी वजह से मेडिकल के छात्र और छात्राएं आत्महत्याएं (Suicide) कर रहे हैं। इसे लेकर फिर से सवाल खड़े हो रहे हैं। नेशनल मेडिकल कमीशन (National Medical Commission) ने इसके लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है। और उसने इस बात पर चिंता जताई है कि रैगिंग (Ragging) के मामले इस कदर बढ़ रहे हैं, कि कई मामलों में छात्रा और छात्राएं आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो रहे हैं। कमीशन ने रैगिंग के संबंध में बकायदा एक वेबइसाट भी बना दी है। जिस पर माता-पिता से छात्र अपनी शिकायत सीधे NMC को भेज सकते हैं। इसके अलावा कमीशन ने सभी संबंधित मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन से आत्महत्या के मामलों की डिटेल भी मांगी है।

मेडिकल कॉलेज में बढ़ रहे हैं रैगिंग के मामले

नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, उसने डॉ अरूणा वी वानीकर की अध्यक्षता में एंटी रैगिंग कमेटी का गठन कर दिया है। और उसने अपनी पहली मीटिंग भी कर ली है। और इस मीटिंग में एक बात जो साफ तौर पर कही गई है, कि मेडिकल कॉलेज रैगिंग के मामले में बढ़े हैं और उसकी वजह से आत्महत्या के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी हुई है। इसे देखते हुए NMC ने antiragging@nmc.org.in वेबसाइट बनाई है, जिस पर छात्र और छात्राएं सीधे अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा सभी मेडिकल कॉलेज को यह निर्देश दिया गया है कि छात्र-छात्राओं को इस वेबसाइट की जानकारी मिले, इसके लिए हॉस्टल, मेस, लाइब्रेरी, लेक्चर हॉल,कॉमन रूम आदि में भी वेबसाइट के बारे में जानकारी डिस्प्ले किया जाय।

हर साल 91 हजार MBBS लेते हैं एडमिशन, जानें आत्महत्या का ट्रेंड

देश में हर साल 91,927 हजार MBBS और 26949 BDS सीट के लिए छात्रा-छात्राओं का एडमिशन होता है। इसी तरह 884 छात्र-छात्राएं पीजी में एडमिशन लेते हैं। जहां तक रैगिंग की वजह से आत्महत्या के मामलों की बात है, तो इसकी अभी कोई स्टडी सामने नहीं आई है। अब एनएमसी इन आंकड़ों को जुटा रही है। लेकिन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों से कुछ तस्वीर जरूर साफ होती है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार साल 2010 और 2019 के बीच कुल 359 मेडिकल प्रोफेशनल ने आत्महत्या की है। इसमें 125 मेडिकल छात्रों ने, 105 रेजिडेंट्स और 128 डॉक्टर शामिल है इसके अलावा 10 में से करीब 7 आत्महत्याएं 30 वर्ष से कम उम्र के मेडिकल प्रोफेशनल्स ने की है। इसमें से करीब 20 फीसदी ने उत्पीड़न की वजह से आत्महत्या की है।

वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार साल 2021 में 18-30 साल की उम्र के 56,529 युवाओं में आत्महत्या की है। इसमें से 8 फीसदी यानी करीब 4500 छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या की है। हालांकि इसमें मेडिकल के छात्र कितने हैं, इसका खुलासा नहीं हुआ है।

रैगिंग है प्रतिबंधित, इन बातों का न करें इग्नोर

देश में रैगिंग पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसके बावजूद रैगिंग की घटनाएं सामने आती रहती हैं। ऐसे में antiragging.in ने रैगिंग के तरीकों के बारे में बताया है। ऐसे में छात्र और छात्राएं, ऐसी हरकत होने पर एंटीरैगिंग सेल में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके लिए टोल फ्री नंबर 1800-180-5522 पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

  1. किसी भी छात्र या छात्र द्वारा कोई भी आचरण, चाहे वह बोले गए या लिखित शब्दों से हो या किसी ऐसे कार्य द्वारा, जिसमें किसी फ्रेशर या किसी अन्य छात्र को छेड़ने, व्यवहार करने या अशिष्टता की गई हो।
  2. किसी भी छात्र या छात्र द्वारा उपद्रवी या अनुशासनहीन गतिविधियों में लिप्त होना, जो किसी भी फ्रेशर या किसी अन्य छात्र में झुंझलाहट, कठिनाई, शारीरिक या मनोवैज्ञानिक नुकसान या भय या आशंका पैदा करता है या होने की संभावना है।
  3. किसी भी छात्र को ऐसा कोई भी कार्य करने के लिए कहना जो वह छात्र सामान्य रूप से नहीं करेगा और जिसमें शर्म, या पीड़ा या शर्मिंदगी की भावना का सामना करना पड़े, जिसे छात्र पर प्रतिकूल असर हो।
  4. सीनियर छात्र द्वारा किया गया कोई भी कार्य जो किसी अन्य छात्र या फ्रेशर की नियमित शैक्षणिक गतिविधि को रोकता है, बाधित करता है या परेशान करता है।
  5. किसी व्यक्ति या छात्रों के समूह को सौंपे गए शैक्षणिक कार्यों को पूरा करने के लिए एक फ्रेशर या किसी अन्य छात्र की सेवाओं का शोषण करना।
  6. छात्रों द्वारा किसी फ्रेशर या किसी अन्य छात्र पर पैसा वसूली या जबरदस्ती खर्च का कोई भी कार्य कराना।
  7. शारीरिक शोषण का कोई भी कार्य जिसमें इसके सभी प्रकार शामिल हैं। इसमें यौन शोषण, समलैंगिक काम करने को मजबूर कनरा, कपड़े उतारना, जबरदस्ती अश्लील और भद्दे काम करना, इशारे करना, शारीरिक नुकसान पहुंचाना या स्वास्थ्य या व्यक्ति के लिए कोई अन्य खतरा का कारण हो।
  8. किसी भी हरकत, बोले गए शब्दों, ईमेल, पोस्ट, सार्वजनिक अपमान द्वारा किसी छात्र का अपमान करना या गलत व्यवहार करना भी शामिल है।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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