'फोन पर हेलो नहीं, वंदे मातरम बोलिए', महाराष्ट्र सरकार के एक आदेश भड़का विपक्ष
महाराष्ट्र की शिंदे सरकार के एक फैसले से सियासी भूचाल आ गया है। शिंदे सरकार ने 'वंदेमातरम' वाले आदेश पर विपक्ष भड़का हुआ है। विपक्ष ने कहा है कि सरकार अपना फैसला जबरन थोप रही है।
- महाराष्ट्र सरकार का आदेश वंदे मातरम वाला देश
- फोन पर हैलो नहीं 'वंदे मातरम' कहिए
- महाराष्ट्र में सरकारी फरमान मचा घमासान, वंदे मातरम से बैर क्यों?
Vande Mataram : महाराष्ट्र की शिंदे सरकार (Shinde Govt) के एक फैसले से सियासी बवंडर उठ खड़ा हुआ है। शिंदे सरकार ने एक आदेश जारी किया हैजिसमें कहा गया है कि सरकारी कर्मचारी अब फोन पर हेलो नहीं बल्कि वंदे मातरम कहेंगे। महाराष्ट्र सरकार (Mahrashtra) के इस फैसले के विरोध में समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी (Abu Azmi) और ओवैसी की पार्टी के वारिस पठान उठ खड़े हुए हैं।अबू आजमी ने साफ साफ बोल दिया है कि वंदे मातरम तो किसी सूरत में नहीं बोलेंगे। अल्लाह के सिवा के सामने झुक नहीं सकते।वंदे मातरम के विरुद्ध समुदाय विशेष का ये अभियान पहले भी विवादों में रहा है। सवाल तो यही है कि राष्ट्रवादी नजरिए पर ये ऐतराज कितना जायज है...कहीं माइलेज लेने के लिए मुद्दा तो नहीं बनाया जा रहा है।
भड़का विपक्षमहाराष्ट्र सरकार ने सराकारी कर्मचारियों को फोन पर हेलो की जगह वंदे मातरम कहने का आदेश जा किया जिसके बाद विपक्षी पार्टियां बौखला गई और वंदे मातरम कहने का विरोध किया। समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, 'महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को आदेश जारी करते हुए कहा की फोन उठाएं तो हेलो नहीं वंदे मातरम कहिए लेकिन अबू आजमी ने कहा हम कतई वंदे मातरम नहीं बोलेंगे... सिर्फ अल्ला के सामने झुकेंगे।'
एनसीपी का बयानवंदे मातरम बोलने के आदेश के खिलाफ एनसीपी भी है।एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने कहा कि 'वंदे मातरम' से गर्व और देशभक्ति की भावना आती है लेकिन उन्हें मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। इस कदम की एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने कहा कि 'वंदे मातरम' गर्व और देशभक्ति की भावना का आह्वान करता है, लेकिन उन्हें मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, 'खासकर जब वे अपने कर्मचारियों को अपने निजी टेलीफोन का उपयोग करते हुए भी वंदे मातरम कहने के लिए कह रहे हैं। यह और कुछ नहीं बल्कि उनके बोलने की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है और लोगों पर एक विशेष मानसिकता थोपना भी है। उन्हें गर्व से वंदे मातरम कहने दो, उन्हें ऐसा कहने के लिए मजबूर मत करो।'
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