सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को राहत नहीं, अंतरिम जमानत की मांग ठुकराई, अब 23 को सुनवाई
केजरीवाल ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
अरविंद केजरीवाल
Arvind Kejriwal Bail Plea: दिल्ली आबकारी नीति मामले में जेल में बंद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से आज भी कोई राहत नहीं मिली। अदालत ने फिलहाल केजरीवाल की अंतरिम जमानत की मांग ठुकरा दी। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की जमानत याचिका पर सीबीआई को नोटिस भी जारी किया। अब मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी। केजरीवाल ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भूइयां की पीठ ने सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका पर जांच एजेंसी को नोटिस जारी किया। पीठ ने केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा, हम कोई अंतरिम जमानत नहीं दे रहे हैं। हम नोटिस जारी करेंगे। इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 23 अगस्त की तारीख तय की गई है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई गिरफ्तारी को ठहराया वैध
सोमवार को जब केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने इसे तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया तो शीर्ष अदालत उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने पांच अगस्त को मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था और कहा था कि सीबीआई के कृत्यों में कोई दुर्भावना नहीं थी, जिससे यह पता चलता है कि आप नेता किस तरह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने का साहस जुटा सके।
हाई कोर्ट ने निचली अदालत जाने को कहा
हाई कोर्ट ने उनसे सीबीआई मामले में नियमित जमानत के लिए निचली अदालत में जाने को कहा था। अदालत ने कहा था कि सीबीआई द्वारा मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी और प्रासंगिक साक्ष्य एकत्र करने के बाद उनके खिलाफ साक्ष्यों का चक्र बंद कर दिया गया था और यह नहीं कहा जा सकता कि यह बिना किसी उचित कारण के या अवैध था। इसमें कहा गया था कि केजरीवाल कोई साधारण नागरिक नहीं हैं, बल्कि मैगसायसाय पुरस्कार विजेता और आम आदमी पार्टी के संयोजक हैं।
हाई कोर्ट ने कहा था, गवाहों पर उनका नियंत्रण और प्रभाव प्रथम दृष्टया इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि ये गवाह याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद ही गवाह बनने का साहस जुटा सके, जैसा कि विशेष अभियोजक ने उजागर किया है। साथ ही, यह स्थापित करता है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद प्रासंगिक साक्ष्य एकत्र करने के बाद उसके खिलाफ सबूतों का चक्र बंद हो गया। प्रतिवादी (सीबीआई) के कृत्यों से किसी भी प्रकार की दुर्भावना का पता नहीं लगाया जा सकता है।
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