धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं- ममता सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, जानिए पूरा मामला

पश्चिम बंगाल में मुस्लिम समाज की कई जातियों को ओबीसी का दर्जा दिया गया था। हाईकोर्ट इसे अवैध बताते हुए खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक नौकरियों और राज्य-प्रशासित शिक्षण संस्थानों में इन जातियों के लिए आरक्षण अवैध था।

सुप्रीम कोर्ट ने धर्म के आधार पर रिजर्वेशन को खारिज किया

मुख्य बातें
  • मुस्लिम जातियों को ओबीसी का दर्जा दिए जाने का मामला
  • पहले ही हाईकोर्ट रद्द कर चुकी है ये दर्जा
  • अब सुप्रीम कोर्ट पहुंची है ममता सरकार

पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि आरक्षण का आधार धर्म नहीं हो सकता है या धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं हो सकता है। कोर्ट पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने कलकत्ता हाईकोर्ट के 2010 के फैसले को चुनौती दी थी।

सरकार ने क्या तर्क दिया

उच्च न्यायालय के 22 मई के फैसले को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका सहित सभी याचिकाएं न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आईं। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं हो सकता। राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह धर्म के आधार पर नहीं है। यह पिछड़ेपन के आधार पर है।

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