उच्चतम विकास दर वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है भारत- बेनेट यूनिवर्सिटी में बोले नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर माइकल स्पेंस
प्रोफेसर स्पेंस के साथ अर्थशास्त्र और वैश्विक नीति के क्षेत्र के दो अन्य दिग्गज भी बेनेट विश्वविद्यालय पहुंचे थे। इंस्टीट्यूट फॉर न्यू इकोनॉमिक थिंकिंग (आईएनईटी) के अध्यक्ष प्रोफेसर रोहिंटन मेधोरा और आईएनईटी के अध्यक्ष डॉ. रॉब जॉनसन।
नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर माइकल स्पेंस ने बेनेट विश्वविद्यालय का दौरा किया
महान अर्थशास्त्री प्रोफेसर माइकल स्पेंस ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। 2001 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले प्रोफेसर माइकल स्पेंस सोमवार को बेनेट यूनिवर्सिटी पहुंचे थे। जहां उन्होंने शिक्षकों और छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि इस समय सबसे अधिक संभावित विकास दर वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था भारत है। स्पेंस ने यह भी कहा कि भारत ने अब तक दुनिया में सबसे अच्छी डिजिटल इकॉनमी और फाइनेंस सिस्टम का सफलतापूर्वक विकास कर लिया है। जो एक ओपेन, कंपेटेटिव और एक विशाल क्षेत्र में समान प्रकार की सेवाएं प्रदान करता है। उन्होंने कहा- "यह खुला है, प्रतिस्पर्धी है और विशाल क्षेत्र में निष्पक्ष प्रकार से सेवाएं प्रदान करता है।"
प्रोफेसर माइकल स्पेंस ने यह भी बताया कि दुनिया इस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रकार का व्यवस्था परिवर्तन का अनुभव कर रही है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास यात्रा पर बात करते हुए प्रोफेसर स्पेंस ने कहा कि 70 साल पुरानी वैश्विक व्यवस्था, महामारी, भू-राजनीतिक तनाव, जलवायु परिवर्तन आदि के कारण टूट रही है।
इस बात पर जोर देते हुए कि वैश्विक प्रणाली तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रही है, प्रोफेसर स्पेंस ने बताया कि कमजोर आर्थिक दुनिया में सिंगल सोर्सिंग का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि आज इसका सेंटर ईस्ट को ओर लगातार बढ़ रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक बुनियादी बदलाव आ रहा है, जिससे आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता आ रही है और वैश्विक शासन पहले से कहीं अधिक जटिल होता जा रहा है।
आगे उन्होंने कहा कि चुनौतीपूर्ण समय के बावजूद, जो चीज हमें आशावाद देती है वह इस प्रश्न का सकारात्मक उत्तर है - कि क्या हमारे पास मानव कल्याण को बढ़ाने के लिए जवाबी उपाय हैं? उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारी प्रगति को विस्तार से बताया, जो मानव कल्याण को बढ़ाने में योगदान दे सकते हैं, जिसमें जेनरेटिव एआई, बायोमेडिकल जीवन विज्ञान में क्रांति और बड़े पैमाने पर ऊर्जा परिवर्तन शामिल हैं। उन्होंने सौर ऊर्जा के प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण का उदाहरण देते हुए कहा कि डीएनए सीक्वेंसिंग की लागत पहले के 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर अब 250 अमेरिकी डॉलर हो गई है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस तकनीकी विकास का एक निगेटिव पहलू भी है, यह बड़े और छोटे दोनों व्यवसायों के लिए समान रूप से उपलब्ध होना चाहिए। प्रोफेसर माइकल स्पेंस ने कहा- "अब हमारे पास अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली वैज्ञानिक और तकनीकी उपकरण हैं, जिनका अगर हम सही तरीके से उपयोग करते हैं, तो उनका उपयोग व्यापक स्तर के लोगों को अनिवार्य रूप से भलाई और अवसर प्रदान करने के लिए किया जा सकता है।"
प्रोफेसर स्पेंस के साथ अर्थशास्त्र और वैश्विक नीति के क्षेत्र के दो अन्य दिग्गज भी बेनेट विश्वविद्यालय पहुंचे थे। इंस्टीट्यूट फॉर न्यू इकोनॉमिक थिंकिंग (आईएनईटी) के अध्यक्ष प्रोफेसर रोहिंटन मेधोरा और आईएनईटी के अध्यक्ष डॉ. रॉब जॉनसन। प्रोफेसर मेधोरा ने प्रौद्योगिकी आधारित आर्थिक विकास के शासन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि लोकाचार, नैतिकता और शिक्षा प्रणालियों के लिए एक जगह है, जहां विश्वविद्यालय एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। डॉ. रॉब जॉनसन ने भारत द्वारा अपनाए गए अद्वितीय विकास मॉडल के बारे में विस्तार से बात की और बताया कि कैसे इसे अन्य विकासशील देशों द्वारा अपनाया जा सकता है। प्रोफेसर मेधोरा और डॉ. जॉनसन ने वैश्विक आर्थिक प्रशासन, इनोवेशन और 21वीं सदी में आर्थिक परिणामों को आकार देने में नीति की भूमिका पर बात की।
बेनेट विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर डॉ अजित अब्राहम ने कहा इन विद्वानों के दौरे को लेकर कहा- "प्रोफेसर स्पेंस, प्रोफेसर मेधोरा और डॉ. जॉनसन का यह दौरा न केवल आर्थिक विचार और अनुसंधान के केंद्र के रूप में बेनेट विश्वविद्यालय की बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रमाण है, बल्कि हमारे छात्रों और फैकल्टी के लिए उन विचारों से जुड़ने का एक अनूठा अवसर भी है जो हमारी वैश्विक अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार देंगे।
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