अंतिम आदमी तक पहुंचे अनाज, खाली पेट न सोए कोई...जब केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने कही यह बात
भूषण के अनुसार, सरकार दावा कर रही है कि लोगों की प्रति व्यक्ति आय पिछले कुछ साल में बढ़ी है, लेकिन भारत वैश्विक भुखमरी सूचकांक में तेजी से नीचे आया है। वैसे, केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि एनएफएसए के तहत 81.35 करोड़ लाभार्थी हैं जो भारतीय परिप्रेक्ष्य में भी काफी बड़ी संख्या है।

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी खाली पेट नहीं सोना चाहिए। अंतिम आदमी तक अनाज पहुंचाने की जिम्मेदारी सरकार की है। मंगलवार (छह दिसंबर, 2022) को अदालत की यह टिप्पणी तब आई, जब जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच कोरोना वायरस महामारी और उसके बाद ऐहतियाती तौर पर लगाए गए लॉकडाउन के बीच प्रवासी श्रमिकों की हालत से जुड़े विषय पर स्वत: एक जन हित मामले पर सुनवाई कर रही थी।
कोर्ट ने दो टूक कहा कि हमारी संस्कृति है कि किसी को भूखा नहीं सोना चाहिए। कोर्ट ने इसके साथ ही केंद्र से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएसएफएस) के तहत खाद्यान्न अंतिम आदमी तक पहुंचे। बेंच ने सरकार को निर्देश दिया कि ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या के साथ ताजा सारणी जमा की जाए।
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बेंच के मुताबिक, ‘‘यह सुनिश्चित करना केंद्र की जिम्मेदारी है कि एनएफएसए के तहत खाद्यान्न अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। हम ऐसा नहीं कह रहे कि केंद्र कुछ नहीं कर रहा। केंद्र ने कोविड के दौरान लोगों तक अनाज पहुंचाया है। हमें यह भी देखना होगा कि यह जारी रहे। हमारी संस्कृति है कि कोई खाली पेट नहीं सोए।’’
सामाजिक कार्यकर्ताओं अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोकर की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि 2011 की जनगणना के बाद देश की आबादी बढ़ गई है। साथ ही एनएफएसए के दायरे में आने वाले लाभार्थियों की संख्या भी बढ़ गई है। अगर कानून को प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया तो कई पात्र और जरूरतमंद लाभार्थी इसके फायदों से वंचित रह जाएंगे।
भूषण के अनुसार, सरकार दावा कर रही है कि लोगों की प्रति व्यक्ति आय पिछले कुछ साल में बढ़ी है, लेकिन भारत वैश्विक भुखमरी सूचकांक में तेजी से नीचे आया है। वैसे, केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि एनएफएसए के तहत 81.35 करोड़ लाभार्थी हैं जो भारतीय परिप्रेक्ष्य में भी काफी बड़ी संख्या है। भूषण ने आगे कहा कि 14 राज्यों ने हलफनामे दाखिल कर कहा है कि उनका खाद्यान्न का कोटा खत्म हो चुका है। मामले में अब आठ दिसंबर को सुनवाई होगी। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)
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