अब भारत में भी आक्रामक ड्रोन की तैनाती, LoC से लेकर LAC तक सरहद रहे महफूज
भारत की सरहदों को मिलेगा हजारों ड्रोन्स का सुरक्षा कवच। रूस यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल होने वाले कामिकेज ड्रोन के अलावा तमाम आधुनिक ड्रोन से सेना लैस होगी।
सरहदी इलाकों में ड्रोन्स की तैनाती
LoC से LAC तक देश की हर सरहद को ड्रोन्स का अभेद्य सुरक्षा कवच मिलने वाला है। इसके लिए भारतीय सेना इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट के तहत हजारों अलग-अलग तरह के ड्रोन्स के इंडक्शन में जुटी है। अब चीन हो या पाकिस्तान, यह ड्रोन्स दुश्मन की हर हरकत पर न सिर्फ नजर रखेंगे बल्कि उसकी जरा सी चालबाजी पर उसे वही ढेर कर सकते हैं।
ड्रोन्स ने साबित की अपनी उपयोगिता
रूस-यूक्रेन का युद्ध हो या आर्मेनिया और अजरबैजान की जंग, ड्रोन्स हर युद्धक्षेत्र मेें घातक साबित हो रहे हैं। भारतीय सेना भी देश की सीमाओं को हज़ारों आधुनिक ड्रोन्स की शील्ड देने में जुटी है। इसके लिए सेना की तरफ से पिछले एक महीने में ही ढाई हजार से ज्यादा ड्रोन्स प्रोक्योरमेंट के प्रपोजल्स मांगे जा चुके हैं। इनमे सबसे नया प्रपोजल 750 मिनी रीमोटली पायलेटेड एरियल व्हीकल (MRPAV) के लिए है। इन ड्रोन्स को LAC पर सेना के पैरा स्पेशल फोर्सेस को बेहद खास मिशन्स के लिए डिप्लॉय किया जाएगा। मैन पोर्टेबल आरपीएवीएस का वजन 2 किलोग्राम से कम होगा और यह 30 मिनट के एंडोरेंस के साथ दिन-रात निगरानी कर सकेगा इस ख़ास तरह के यूएबी में किसी भी टारगेट की 3D स्कैनिंग करने की क्षमता भी होगी जिससे मुश्किल ऊंचाइयों और खराब मौसम में भी किसी भी अवांछित मूवमेंट को देखा जा सकेगा।
एलएसी पर स्पेशल फोर्सेज को दिए जाएंगे नए ड्रोन
चीन के साथ उत्तरी सीमाओं पर मौजूदा अस्थिरता में आरपीएवीएस को जल्द से जल्द खरीदा जाएगा ताकि इन्हें एलएसी पर तैनात किया जा सके। 750 RPAV के अलावा भारतीय सेना इमर्जेंसी ख़रीद के तहत फास्ट ट्रैक प्रक्रिया से तकरीबन 1500 ड्रोन लेने का काम भी शुरू कर चुकी है। इनमें से 1000 सर्वेलांस कॉप्टर और 80 मिनी रिमोटली पायलेटेड एयरक्रफ्ट के लिये 2 अलग अलग RFP यानी रिक्वेस्ट फ़ॉर प्रपोज़ल जारी किए जा चुके हैं। इन प्रपोजल्स को भारतीय कंपनियों के लिए ही खोला गया है और इन ड्रोन्स की जरूरी क्षमताओं के बारे में भी बारीकी से बताया गया है।
इन ड्रोन्स में होंगी नई खूबियां
- हर निगरानी करने वाले कॉप्टर का वजन 10 किलो से ज़्यादा नहीं होना चाहिए
- हाई ऑलटिट्यूड में चलने वाली 12 से 15 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ़्तार की हवा में आसानी से स्टेबल रह सके
- यह ड्रोन दिन और रात दोनों समय में ये आसानी से ऑप्रेट कर सकेंगे
- इसके लिए कलर्ड विडियो कैमेरा होना जरूरी है जो 1200 से 1500 मीटर दूर से किसी भी मूवमेंट को डिटेक्ट कर सके
- इन ड्रोन्स में मोनोक्रोमेटिक नाइट थर्मल सैंसर रात में रीयल टाइम विडियो दे सकेगा
- यह यूएवी 40 से 45 डिग्री और -10 से -20 डिग्री तापमान वाले इलाक़े में आसानी से ऑप्रेट किए जा सकेंगे
- इसकी रेंज 5 किलोमीटर और एंड्योरेंस 1 घंटे का होगा
हर रोल के लिए होगा अलग ड्रोन
भारतीय सेना ने इस प्रोक्योरमेंट में अलग-अलग तरह के आधुनिक ड्रोन को शामिल कर रही है जिनमें रूस यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल होने वाले कामिकेज ड्रोन भी शामिल हैं। इसके अलावा सशस्त्र ड्रोन, लॉजिस्टिक्स ड्रोन, इन्फैंट्री बटालियनों के लिए निगरानी क्वाडकॉप्टर भी शामिल हैं। आर्टिलरी रेजिमेंट के लिए, सेना 80 मिनी रिमोटली पायलट एयरक्राफ्ट सिस्टम (RPAS), 10 रनवे-इंडिपेंडेंट RPAS, 44 अपग्रेडेड लॉन्ग-रेंज सर्विलांस सिस्टम और 106 नेविगेशन सिस्टम भी खरीद रही है। माना जा रहा है कि इन सभी ड्रोन स्कोर जल्द से जल्द एलएसी और एलओसी पर तैनात कर दिया जाएगा।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ताकत से लैस इन अनमैंड एरियल व्हीकल मैं में निगरानी की क्षमता भी होगी और हमले की आक्रामकता भी इनमें से कुछ रोल्स साजो सामान ले जाने का काम भी करेंगे याने यानी आप भारतीय सेना जमीन के चप्पे-चप्पे के साथ इन आसमानी आंखों से दुश्मन पर और ज्यादा पैनी नजर रखेगी।
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19 सालों के पत्रकारिता के अपने अनुभव में मैंने राजनीति, सामाजिक सरोकार और रक्षा से जुड़े पहलुओं पर काम किया है। सीमाओं पर देश के वीरों का शौर्य, आत्मन...और देखें
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