Odisha Rail Accident: सदमे में हैं बालासोर रेल हादसे में लोगों को बचाने वाले NDRF कर्मी, न भूख लग रही न प्यास! पानी में भी दिखता है खून
Odisha Rail Accident: ओडिशा के बालासोर में 2 जून को हुए भीषण रेल हादसे ने लोगों को कभी न भरने वाले घाव दिए हैं। इसकी विभीषिका ने एनडीआरएफ के बचावकर्मियों को भी मानसिक रूप से प्रभावित किया है।
- ओडिशा के बालासोर में हुआ है रेल हादसा
- 278 लोगों की हुई है ओडिशा रेल हादसे में मौत
- NDRF की नौ टीमें लगीं थीं बचाव कार्य में
Odisha Rail Accident: ओडिशा रेल हादसे में बचाव कार्य चलाने वाले एनडीआरएफ (NDRF) की टीम के कई जवान सदमे में हैं। वो मानसिक रूप से परेशान दिख रहे हैं। उन्हें न भूख लग रही है और न ही प्यास। हाल ये है कि पानी भी खून की तरह नजर आ रहा है। ओडिशा के बालासोर में हुए इस भीषण रेल हादसे के बाद एनडीआरएफ की कई टीमों को बचाव कार्य में लगाया गया था। एनडीआरएफ की टीम की तत्परता की वजह से ही दर्जनों लोगों की जान बचाई जा सकी थी।
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पानी में भी दिखता है खून
ओडिशा के बालासोर में 2 जून को हुए भीषण रेल हादसे ने लोगों को कभी न भरने वाले घाव दिए हैं। इसकी विभीषिका ने एनडीआरएफ के बचावकर्मियों को भी मानसिक रूप से प्रभावित किया है। एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल ने मंगलवार को बताया कि ट्रेन दुर्घटनास्थल पर बचाव अभियान में तैनात बल का एक कर्मी जब भी कहीं पानी देखता है तो उसे वह खून नजर आता है जबकि एक अन्य बचावकर्मी को अब भूख ही नहीं लग रही है। करवाल ने कहा- "मैं बालासोर ट्रेन हादसे के बाद बचाव अभियान में शामिल अपने कर्मियों से मिला... एक कर्मी ने मुझे बताया कि वह जब भी पानी देखता है तो उसे वह खून की तरह लगता है। एक अन्य बचावकर्मी ने बताया कि इस बचाव अभियान के बाद उसे भूख लगना बंद हो गयी है।"
काउंसलिंग की व्यवस्था
एनडीआरएफ के महानिदेशक ने कहा कि अपने कुछ कर्मियों की इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए बल ने अपने कर्मियों के बचाव एवं राहत अभियान से लौटने पर उनके लिए मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग और मानसिक स्थिरता पाठ्यक्रम शुरू किया है। उन्होंने कहा- "अच्छी मानसिक सेहत के वास्ते ऐसी काउंसलिंग हमारे उन कर्मियों के लिए करायी जा रही है जो आपदाग्रस्त इलाकों में बचाव एवं राहत अभियानों में शामिल होते हैं।"
नौ टीमें हुई थीं तैनात
बालासोर में तीन ट्रेनों के आपस में टकराने के बाद बचाव अभियान के लिए एनडीआरएफ के नौ दलों को तैनात किया गया था। भारत के सबसे भीषण रेल हादसों में से एक इस दुर्घटना में करीब 278 लोगों की मौत हो गयी तथा 900 से अधिक लोग घायल हो गए। बचाव अभियान समाप्त होने तथा पटरियों की मरम्मत के बाद इस मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू कर दी गई है लेकिन कई पीड़ितों का दावा है कि उनके अपनों का पता नहीं चल पा रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बल ने 44 पीड़ितों को बचाया और घटनास्थल से 121 शव बरामद किए।
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