ऑटोमैटिक ब्रेक लगाने के अलावा ये काम भी करता है 'कवच', Odisha ट्रेन हादसे बाद चर्चा में आई इस टेक्नोलॉजी के बारे में जानें सबकुछ

Odisha Train Accident: कवच एकऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जो ट्रेनों की भिडंत या ट्रैक पर किसी भी हादसे को होने से रोकता है। इस टेक्नोलॉजी को भारतीय रेलवे की रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (RDSO) ने विकसित किया है।

Coromandel Express accident

Coromandel Express accident

Odisha Train Accident: ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण रेल हादसे के बाद 'कवच' की काफी चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि इस रूट पर अगर यह प्रणाली होती तो इस हादसे को रोका जा सकता था। हालांकि, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साफ किया है कि इस रेल हादसे का 'टक्कर रोधी प्रणाली कवच' से कोई लेना देना नहीं था।
उन्होंने कहा है कि ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे के जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली गई है। रविवार को उन्होंने पत्रकारों को इसके साथ बताया कि दुर्घटना के पीछे की वजह भी पता चल गई है। कवच से इसका कोई संबंध नहीं है। प्वॉइंट मशीन और इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के चलते ऐसा हुआ है। ऐसे में हम आपको रेलवे की इस शानदान प्रणाली कवच के बारे में सबकुछ बताएंगे और जानेंगे कि ऑटोमैटिक ब्रेक लगाने के अलावा यह प्रणाली और क्या-क्या काम करती है।

कवच क्या है?

कवच एकऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जो ट्रेनों की भिडंत या ट्रैक पर किसी भी हादसे को होने से रोकता है। इस टेक्नोलॉजी को भारतीय रेलवे की रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (RDSO) ने विकसित किया है। ट्रेन हादसे रोकने के लिए इस प्रणाली पर 2012 से काम किया जा रहा था, तब इसे Train Collision Avoidance System नाम दिया गया था।

क्या था कवच को विकसित करने का मकसद?

कवच एकऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम को विकसित करने के पीछे देश में होने वाले रेल हादसों को रोकना था। इस सिस्टम को जीरो एक्सीडेंट लक्ष्य के तहत विकसित किया गया था। 2016 में इसका ट्रायल भी हुआ था और बीते साल रेल मंत्री अश्चिनी वैष्णव खुद इसका लाइव डेमो करके दिखाया था।

अब जानिए क्या-क्या काम करता है कवच

कवच एक ऐसी प्रणाली है, जो एक ही ट्रैक पर आ रही दो ट्रेनों को एक निश्चित दूरी पर ही रोक देता है, जिससे हादसे से बचा जा सके। यह पूरा सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस का सेट होता है, जिसमें रेडिया फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइसेस को ट्रेन, ट्रैक और हर स्टेशन से एक किलोमीटर की दूसरी इंस्टाल किया जाता है। यह सिस्टम अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रिक्वेंसी पर काम करता है और सिग्नल जंप होते ही एक्टिव हो जाता है।
  • सिग्नल जंप होने की दिशा में यह सिस्टम सबसे पहले लोको पायलट को अलर्ट करता है।
  • अगर एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनें आ रही हैं, तो यह सिस्टम एक्टिव होकर ट्रेनों की मूवमेंट को मॉनिटर करता है और लगातार कंट्रोल रूम और स्टेशन को सिग्नल भेजता रहता है।
  • यह सिस्टम सिग्नल जंप होने की दिशा में पांच किलोमीटर के दायरे में सभी ट्रेनों का संचानल बंद कर देता है।
  • ब्रेक फेल होने की दिशा में भी यह सिस्टम एक्टिव होकर ट्रेन के ब्रेक पर कंट्रोल हासिल करता है और गति को नियंत्रित करता है।
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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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