Odisha Train Tragedy के बाद स्कूल बना मुर्दाघर! अपनों की लाशें ढूंढते रहे लोग, बोला बिलखता बाप- बेटा नहीं मिल रहा
Odisha Train Tragedy Latest Update: सबसे भयावह रेल हादसे में कम से कम 288 यात्रियों की मौत हुई और 1100 से अधिक यात्री घायल हुए, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुर्घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने कहा, ‘‘दुर्घटना के लिए दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।’’
Odisha Train Tragedy Latest Update: ओडिशा में हुई रेल त्रासदी (सबसे भयावह रेल हादसा) के बाद एक स्कूल की हालत मुर्दाघर जैसी नजर आई। अपनों की लाशों के लिए वहां पर लोग रोते-बिलखते और भटकते नजर आए। Bahanaga High School के बाहर जो लोग अपनों के बारे में पता करने पहुंचे थे, उनमें से अधिकतर पश्चिम बंगाल से थे। डेडबॉडी पहचानने के बाद पता और आईडी के आधार पर परिजन को टोकन/टिकट मुहैया कराया जा रहा है, जिसके बाद टैली मिलाने और अन्य कागजी काम के बाद उन्हें परिजन की लाश और मुआवजा आदि की प्रकिया शुरू की जा रही है।
इस बीच, सोशल मीडिया पर एक बेबस और लाचार बुजुर्ग बाप का वीडियो सामने आया, जिसमें वह फूट-फूट कर रोते हुए कपड़ों से ढंकी हुई लाशों के बीच अपने बेटे की डेडबॉडी ढूंढ रहे थे। उन्होंने बताया कि बेटा नहीं मिल रहा है। पश्चिमी मिदनापुर के सजात अली अपने जीजा (बढ़ई) के बारे में पता लगाने पहुंचे थे, मगर कोई जानकारी न मिली। मयूरभंज के हरिहर साहू भी अपने 27 साल के भतीजे को ढूंढने पहुंचे थे। उन्हें उसके दोस्त की मौत की जानकारी तो मिल गई, पर उसकी कोई खबर न हासिल हुई।
स्कूल में लोग ढंकी हुई लाशों के ऊपर से कपड़ा हटा-हटाकर अपनों को ढूंढते नजर आए। जिन लोगों को अपने चहेतों के बारे में कुछ भी पता न चल सका वे बेहद परेशान दिखे और उन्होंने आसपास के अस्पतालों का रुख किया। हालांकि, अफसरों का कहना है कि वे लगेज (सामान), फोन और लोगों के अन्य सामान के जरिए मृतकों की पहचान की कोशिशें की जा रही हैं।
चूंकि, स्कूल मौके से नजदीक था, लिहाजा शुरुआती तौर पर लाशें वहां रखने के लिए उसे चुना गया। वहां के क्लासरूम और हॉल्स में अच्छी खासी जगह भी है। शनिवार को अंग्रेजी अखबार दि इंडियन एक्सप्रेस को इस बारे में अफसरों ने बताया कि कम से कम 163 लाशें वहां लाई गईं, जिनमें से 30 की पहचान कर ली गई।
NDRF जवान ने सबसे पहले किया था सतर्ककोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के 39 वर्षीय जवान वेंकटेश एन. के. (दूसरी बटालियन के साथ तैनात) शायद पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने शुरुआती बचाव प्रयासों में शामिल होने से पहले इस ट्रेन हादसे के बारे में आपातकालीन सेवाओं को सतर्क किया था। जवान ने सबसे पहले बटालियन में अपने वरिष्ठ निरीक्षक को फोन करके दुर्घटना की जानकारी दी।
आगे उन्होंने व्हाट्सएप पर घटनास्थल की ‘लाइव लोकेशन’ एनडीआरएफ नियंत्रण कक्ष को भेजी और इसका इस्तेमाल पहले बचाव दल ने मौके पर पहुंचने के लिए किया। वह इस दौरान छुट्टी पर थे और बंगाल के हावड़ा से तमिलनाडु की यात्रा कर रहे थे। अधिकारियों ने कहा कि वह बाल-बाल बच गए क्योंकि जिस डिब्बे ‘बी-7’ में वह सवार थे, वह पटरी से उतर गया था लेकिन आगे के डिब्बों से नहीं टकराया।
पूरा मामला क्या है? जानिए, एक नजर में दरअसल, ओडिशा के बालासोर जिला में शुक्रवार (दो जून, 2023) को बड़ा रेल हादसा हुआ था। एक ट्रेन (कोरोमंडल एक्सप्रेस) के डिब्बे बेपटरी होने के बाद मालगाड़ी से टकरा गए थे और इसी दौरान तीसरी ट्रेन भी बाजू वाले ट्रैक से गुजरते हुए दुर्घटना की चपेट में आ गई थी। शनिवार (तीन जून, 2023) की रात तक के आंकड़ों के अनुसार, हादसे में कम से कम 288 यात्रियों की मौत हुई, जबकि 1100 से अधिक यात्रियों के जख्मी होने की खबर है।
जांचकर्ता इस हादसे की मानवीय त्रुटि, सिग्नल फेल होने और बाकी संभावित पहलुओं से जांच कर रहे हैं और उन्होंने इस भयावह हादसे की शुरुआती जांच रिपोर्ट सौंपी है। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुर्घटनास्थल का दौरा किया और कहा, ‘‘अपना दर्द बयां करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। रेल हादसे के लिए दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।’’ (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)
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