Operation Sheesh Mahal में उलझे केजरीवालः पूर्व PMs के बंगले से इतना अलग है उनका घर
Operation Sheesh Mahal Part 2: आपके प्रिय हिंदी खबरिया चैनल टाइम्स नाऊ नवभारत ने 25 और 26 अप्रैल 2023 को दो टुकड़ों में यह ऑपरेशन दिखाया था, जिसमें दस्तावेजों के आधार पर खुलासा हुआ कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कोरोना काल के दौरान अपने सरकारी आवास के "सुंदरीकरण" पर लगभग 45 करोड़ रुपए की रकम खर्च की थी। हालांकि, आप की ओर से कहा गया कि मकान रेनोवेट नहीं हुआ बल्कि नए सिरे से टूटकर बना था।
peration Sheesh Mahal Part 2: सिर पर टोपी, बदन पर साधारण सी कमीज और पैरों में चप्पल...यह है दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरावाल की सादगी वाली पर्सनैलिटी का पूरा ब्यौरा। आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक ने कभी सीना ठोंक कर कहा था कि वह बहुत छोटे से आदमी हैं और उतनी ही छोटी उनकी औकात है, मगर 25 अप्रैल और 26 अप्रैल को दो हिस्सों में 'ऑपरेशन शीशमहल' के सामने आने के बाद समूचे देश को उनकी कथनी और करनी में फर्क देखने को मिल गया।
आपके प्रिय हिंदी चैनल टाइम्स नाऊ नवभारत के इस ऑपरेशन में की गई तहकीकात के दौरान जो दस्तावेज और जानकारी सामने निकलकर आई, उससे खुलासा हुआ कि केजरीवाल के कोरोना काल में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अपने सरकारी आवास के "रेनोवेशन" पर लगभग 45 करोड़ रुपए पानी की तरह बहा दिए। फिर चाहे एक करोड़ से अधिक के 23 पर्दे हों या फिर 63 लाख के दो किचन...आम आदमी (सिंपल) का दावा करने वाले सीएम की ओर से जब इतनी मोटी रकम सिर्फ सुंदरीकरण पर लगा दी गई तो दिल्ली ही नहीं बल्कि लेकर पूरे देश में सियासी हल्ला हुआ।
रोचक बात यह है कि केजरीवाल की ओर से यह खर्च तब किया गया, जब उनकी मासिक सैलरी लगभग एक लाख 70 हजार रुपए (सारे भत्ते मिलाकर) है। बेशक उन्होंने अपने सरकारी आवास को "महलनुमा स्वरूप देने के लिए गगनचुंबी खर्च" कर दिया, मगर यह वही अन्ना के चेले अरविंद केजरीवाल हैं, जिन्होंने कभी दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के घर के बिजली के बिल पर सवाल उठा दिए थे। आइए, जानते हैं कि सीएम दीक्षित और देश के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों (अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह) के घर कैसे थे?
शीला दीक्षित के घर में क्या कुछ था?- 16 लाख खर्च हुए थे: आवास के रेनोवेशन पर
- 31 एसी
- 25 हीटर
- 15 कूलर
- 16 एयरप्यूरीफायर
- 12 गीजर
- साधारण कुर्सियां, दीवारे और पिलर पर भीमकाय खर्च नहीं हुआ था। देखिए, यह पूरी रिपोर्ट:
जहां से लिया गया घर का मंदिर था, उस दुकान के मालिक ने क्या बताया?मार्बल की दुकान के मालिक सुभाष जैन ने टाइम्स नाऊ नवभारत रिपोर्टर को बताया, "हम जब वहां गए थे, तब सरकारी आवास पर बड़े स्तर पर काम हो रहा था। सारा ही काम चल रहा था। भव्यता महसूस हो रही थी। हमारी दुकान से उन्होंने लगभग आठ से 10 लाख की खरीदारी की थी। एक अच्छे मंदिर की डिमांड रखी गई थी। हमने इसके बाद यहां से बनवाकर भेजा था, जो कि बाद में वहां पर सेट किया गया था। मंदिर में सफेद रंग का वियतनाम मार्बल लगा था।"
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