Operation Sheesh Mahal Part 2: केजरीवाल के घर में 15 बाथरूम, 8 लाख के दो स्मार्ट कमोड और मंदिर भी एक लाख का, जानें डिटेल्स

Operation Sheesh Mahal Part 2 on Arvind Kejriwal: आपके प्रिय हिंदी चैनल "टाइम्स नाऊ नवभारत" ने इससे एक रोज पहले यानी 25 अप्रैल, 2023 को इस ऑपरेशन का पहला भाग दिखाया था, जिसमें खुलासा हुआ था कि कोविड काल के दौरान दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने सरकारी बंगले के सिर्फ सुंदरीकरण पर लगभग 45 करोड़ रुपए खर्च करवा दिए थे।

Operation Sheesh Mahal Part 2 on Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास में 15 बाथरूम हैं। एक-एक टॉयलेट पर लगभग एक-एक लाख रुपए खर्च हुए। 10 लाख से अधिक रकम सिर्फ सैनिट्री फिटिंग पर खर्च की गई। ये चौंकाने वाली जानकारियां बुधवार (26 अप्रैल, 2023) को आपके प्रिय हिंदी न्यूज चैनल टाइम्स नाऊ नवभारत के "ऑपरेशन शीश महल पार्ट-2" के जरिए सामने आईं।

ऑपरेशन के पार्ट-2 में और क्या बातें आईं सामने? देखें
  • बिजली के विभिन्न सामान - 2.58 करोड़ रुपए
  • किचन और अप्लायंस पर 1.10 करोड़ रुपए
  • इंटीरियर डेकोरेशन (वुडेन फ्लोर, वुडन डोर और यूपीवीसी डोर पर) - 11.30 करोड़ रुपए
  • हॉट वॉटर जनरेटर - 25 लाख रुपए
  • सुपीरियर कंसल्टेंसी (सिर्फ बताने के लिए) - एक करोड़ रुपए
  • दो टॉयलेट में ऐसे स्मार्ट टॉयलेट कमोड सीट (सेंसर वाले, जो रिमोट से चलते हैं...एक का दाम- चार लाख 27 हजार 872 रुपए ) हैं, जिनकी कुल कीमत आठ लाख 55 हजार 744 रुपए है।
  • मंदिर - एक लाख रुपए (पत्नी सुनीता केजरीवाल ने शॉपिंग की थी, वियतनाम मार्बल से बना है यह टेंपल)

ऑपरेशन के भाग-दो से यह भी संकेत मिले कि केजरीवाल के सरकारी बंगले पर हुए मोटे खर्च में भ्रष्टाचार का एंगल भी है। दरअसल, सरकारी आवास के रिनोवेशन पर जो लगभग 45 करोड़ रुपए का खर्च हुआ, वह रकम पांच हिस्सों में आवंटित की गई थी।

दरअसल, नियम (जनरल फाइनेंशियल रूल्स) कहते हैं कि अगर कोई सरकारी काम 10 करोड़ की रकम के ऊपर का होता है, तब उसके संभावित खर्च से जुड़ी फाइलें सीनियर अफसरों के पास जाती हैं, जबकि ओपन टेंडर भी निकाला जाता है। टेंडर के प्रोसेस में आगे लोवेस्ट बिडर (कम बोली लगाने वाले) को टेंडर मिलता है। वहीं, जब यह रकम 10 करोड़ से कम होती है तब किसी टेंडर की जरूरत नहीं होती।

क्या है ऑपरेशन शीशमहल? समझिए सरल भाषा में

चूंकि, उनके सरकारी घर पर लगभग 45 करोड़ रुपए खर्च हुए इस लिहाज से उसके लिए ओपन टेंडर निकाला जाना चाहिए था, मगर पूरी रकम पांच टुकड़ों में आवंटित की गई और इस लिहाज से टेंडर की जरूरत नहीं पड़ी। ऐसे में इन्हीं नियम को लेकर कई सवाल उठते हैं। नीचे, बिंदुवार समझिए कि कैसे कथित तौर पर सरकारी अफसरों की अनुमति और ओपन टेंडर से बचने के लिए यह मोटी रकम पांच हिस्सों में आवंटित हुई।

यूं पांच हिस्सों में आवंटित हुई थी रकम

    1- सात करोड़ 92 लाख रुपए

2- एक करोड़ 64 लाख रुपए

3- लगभग नौ करोड़ रुपए

4- आठ करोड़ 17 लाख रुपए

5- नौ करोड़ 34 लाख रुपए।

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      अभिषेक गुप्ता author

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