Operation Sheesh Mahal टि्वटर पर ट्रेंडः केजरीवाल की चुटकी ले बोले लोग- मफलर तो सबने देखा, आज 'मार्बल दिखा' तो कई फिसले

Operation Sheesh Mahal: दरअसल, 25 अप्रैल को आपके प्रिय खबरिया चैनल ने 'ऑपरेशन शीशमहल' दिखाया, जिसमें दस्तावेजों के आधार पर पता लगा कि दिल्ली के सीएम और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कोरोना काल में अपने सरकारी बंगले में 'सुंदरीकरण' के नाम पर लगभग 45 करोड़ रुपए खर्च दिए थे।

Operation Sheesh Mahal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जुड़े टाइम्स नाऊ नवभारत के 'ऑपरेशन शीशमहल' के सामने आने के बाद मंगलवार (25 अप्रैल, 2023) को सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) को कोसा। माइक्रो ब्लॉगिंग मंच टि्वटर पर इस दौरान लोगों ने #OperationSheeshMahal को नंबर-1 पर न केवल ट्रेंड कराया बल्कि इस सनसनीखेज और चौंकाने वाले बड़े खुलासे पर अपनी बेबाक राय भी दीं।

@LokwaniJay ने टि्वटर पर कहा, "केजरीवाल का मफलर तो सभी ने देखा...आज जब मार्बल दिखा तो कई लोग फिसल रहे हैं। तथाकथित कट्टर ईमानदार।" @mithile16161795 ने कहा कि अब यह अपनी पार्टी का नाम आम आदमी पार्टी से खास आदमी पार्टी रख लेंगे। जनता को कोई और झुनझुना पकड़ा कर वोट ले लेंगे जी। @MitraPrakash5 ने कहा- कृपया इस नफरत फैलाने वाले आदमी का समर्थन न करें यह आदमी देश का दीमक है।

@RashmiJ93848622 ने कहा, "यह केजरीवाल अपनी तरह ही सारी जनता को बेवकूफ समझता है।" @vishnudevno1 ने कहा कि गली-गली में शोर है, केजरीवाल चोर है। @navinmasand ने सवालिया लहजे में कमेंट किया कि इतनी महंगी अलमारी में कमीज रखेंगे क्या? @JnyaniM ने लिखा- आईआईटी ग्रैजुएट और "दिल्ली के सीईओ" हैं! इतना तो बनता है भाई।

वहीं, राजस्थान में बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने टाइम्स नाऊ नवभारत को बताया- जिन्होंने (केजरीवाल) कभी कहा था कि राजनीतिक दल ज्वाइन नहीं करूंगा और ज्वाइन किया। जिन्होंने कहा चुनाव नहीं लड़ूंगा, पर चुनाव भी लड़े। जिन्होंने कहा पद नहीं लूंगा, पर पद भी लिया। मकान नहीं लूंगा मकान भी लिया और गाड़ी नहीं लूंगा लेकिन गाड़ी भी ली...और सब देख रहे हैं जब आम आदमी सांसों के लिए लड़ रहा था और केजरीवाल जी क्या कर रहे थे। किस प्रकार का चरित्र है? ये पैसे शायद दिल्ली के कई लोगों के जीवन को बदलने के काम आ सकते थे।

उधर, बीजेपी के राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवारी बोले कि राजनीति में दोहरा चरित्र अगर किसी का देखना है तो उसमें सबसे बढ़िया उदाहरण केजरीवाल हैं। मैं समझता हूं कि यह जनधन की अय्याशी के लिए जो बर्बादी की गई है वह निंदनीय है। राजनीति में अगर रहना है तो सादगी की राजनीति करनी होती है। यह नहीं है तो वह राजनीति है केजरीवाल की राजनीति। उन्होंने अन्ना हजारे से लेकर कुमार विश्वास और प्रशांत भूषण से लेकर बाकी लोगों को एक-एक करके बाहर निकाल दिया। ऊपर से पार्टी का चुनाव नहीं हुआ और पार्टी के खुद स्वयंभू संयोजक बने हैं।

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अभिषेक गुप्ता author

छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में पारंगत और "मीडिया की मंडी" ...और देखें

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