इलाहाबाद HC के जज जस्टिस शेखर यादव पर महाभियोग को लेकर अड़ी विपक्षी पार्टियां, राज्यसभा में दिया नोटिस
सूत्रों का कहना है कि 55 विपक्षी सांसदों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव पर महाभियोग चलाने के लिए राज्यसभा में नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं।
इलाहाबाद HC के जज जस्टिस शेखर यादव पर महाभियोग के लिए नोटिस
Justice Shekhar Yadav impeachment: विपक्षी पार्टियों ने कथित विवादास्पद टिप्पणी के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव पर महाभियोग चलाने के लिए राज्यसभा में नोटिस दाखिल किया है। सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है। सूत्रों का कहना है कि 55 विपक्षी सांसदों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव पर महाभियोग चलाने के लिए राज्यसभा में नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं।
55 विपक्षी सांसदों ने हस्ताक्षर किए
सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग के लिए 55 विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा में दिए गए नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें कांग्रेस के कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा और दिग्विजय सिंह, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जॉन ब्रिटास, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा और तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि सांसदों ने आज उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने से कुछ मिनट पहले राज्यसभा के महासचिव से मुलाकात की और महाभियोग का नोटिस सौंपा।
नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले अन्य प्रमुख सांसद पी चिदंबरम, रणदीप सुरजेवाला, प्रमोद तिवारी, जयराम रमेश, मुकुल वासनिक, नसीर हुसैन, राघव चड्ढा, फौजिया खान, संजय सिंह, ए ए रही, वी शिवदासान और रेणुका चौधरी हैं। न्यायमूर्ति यादव के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की मांग करते हुए न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 और संविधान के अनुच्छेद 218 के तहत प्रस्ताव के लिए नोटिस पेश किया गया। नोटिस में कहा गया है कि विश्व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में जस्टिस यादव द्वारा दिए गए भाषण या व्याख्यान से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि उन्होंने भारत के संविधान का उल्लंघन करते हुए, नफरत फैलाने वाला भाषण दिया और सांप्रदायिक विद्वेष को भड़काया।
इसमें यह भी जिक्र किया गया है कि न्यायाधीश यादव ने प्रथम दृष्टया यह इंगित किया कि उन्होंने अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया और उनके खिलाफ पूर्वाग्रह और पक्षपात जाहिर किया। इसमें कहा गया है कि न्यायमूर्ति यादव ने न्यायिक जीवन में मूल्यों की पुनर्व्याख्या, 1997 का उल्लंघन करते हुए सार्वजनिक चर्चा में भाग लिया तथा समान नागरिक संहिता से संबंधित राजनीतिक मामलों पर अपने विचार व्यक्त किए।
सुप्रीम कोर्ट ने भी लिया संज्ञान
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश शेखर कुमार यादव के विहिप समारोह में दिए गए संबोधन की खबरों पर संज्ञान लिया था। इस संबंध में शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट से रिपोर्ट मांगी थी। शीर्ष अदालत ने जस्टिस यादव के कथित भाषण पर इलाहाबाद हाई कोर्ट को विस्तृत ब्योरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। वहीं, जस्टिस शेखर यादव द्वारा विहिप के एक कार्यक्रम में की गई टिप्पणी को लेकर वकील और एनजीओ 'कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स' के संयोजक प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (CJI) को पत्र भी लिखा था।
जस्टिस यादव ने क्या कहा था?
विहिप के कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव ने कहा था, 'कठमुल्ला शब्द गलत है, लेकिन यह कहने में परहेज नहीं है, क्योंकि वो देश के लिए बुरा है। वो जनता को भड़काने वाले लोग हैं। देश आगे न बढ़े, इस प्रकार की सोचने वाले लोग हैं। उनसे सावधान रहने की जरूरत है।' जस्टिस यादव का यह वीडियो सामने आने के बाद विवाद छिड़ गया। इसपर विपक्षी दलों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया जताई गई और उन्होंने जस्टिस यादव के कथित बयानों पर सवाल उठाते हुए इसे घृणास्पद भाषण करार दिया।
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अमित कुमार मंडल author
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