भारत जोड़ो यात्रा में विरोधियों को भी न्यौता, समझें सियासी मायने

छोटे से विराम के बाद 3 जनवरी से भारत जोड़ो यात्रा का आगाज यूपी से होने जा रहा है। इस यात्रा को लेकर कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी, बीएसपी और बीजेपी के खास चेहरों को कांग्रेस ने न्यौता भेजा। लेकिन विरोधी चेहरों ने तंज कसा। आखिर इसके पीछे के सियासी मायने को समझने की कोशिश करेंगे।

rahul gandhi delhi

भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी ने छोटा ब्रेक लिया है।

राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' लगभग 3,000 किलोमीटर की यात्रा के बाद 3 जनवरी को उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी। ग्रैंड ओल्ड पार्टी ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती और राष्ट्रीय लोकदल सुप्रीमो जयंत चौधरी सहित कई गैर-भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को आमंत्रित किया है। हालांकि, दिनेश शर्मा, जिन्होंने योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था मुख्यमंत्री के रूप में भी आमंत्रित किया गया है। यूपी के जिन नेताओं या दलों को कांग्रेस की तरफ से यात्रा में शामिल होने का न्यौता दिया गया है उन्होंने इनकार कर दिया है। लेकिन जम्मू-कश्मीर में जब भारत जोड़ो यात्रा दाखिल होगी। पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती शामिल होंगी।

बीजेपी नेता दिनेश शर्मा को न्यौता

दिनेश शर्मा को लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के रूप में कांग्रेस मार्च में आमंत्रित किया गया है। पूछे जाने पर भाजपा नेता ने कहा कि उन्हें इस आमंत्रण के बारे में मीडिया में आई खबरों से पता चला।राहुल गांधी की पेशकश को खारिज करते हुए शर्मा ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सड़कों के निर्माण और अन्य विकासात्मक प्रयासों के माध्यम से भारत को जोड़ने के लिए वास्तविक प्रयास कर रहे हैं।" उन्होंने मार्च को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि जो लोग 'भारत तोड़ो' (देश को तोड़ना) में शामिल हैं, वे 'भारत जोड़ो यात्रा' कर रहे हैं।

शीतकालीन अवकाश पर भारत जोड़ो यात्रा

'भारत जोड़ो यात्रा' वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी में नौ दिनों के शीतकालीन अवकाश पर है। राहुल गांधी ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, राजीव गांधी, इंदिरा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री और चौधरी चरण सिंह के स्मारकों का भी दौरा किया।
वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के वायनाड के सांसद के भाव की विपक्षी नेताओं ने सराहना की, वहीं बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि उन्हें कांग्रेस से ताल्लुक रखने वाले पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव की समाधि पर जाना चाहिए था।राहुल गांधी का पूर्व प्रधानमंत्रियों की समाधियों का दौरा शटरबग्स, बकबक करने वाले कुलीनों और उनके बदलाव की कवायद का हिस्सा है। अगर वे इसके प्रति गंभीर होते तो उन्हें हैदराबाद में नरसिम्हा राव की समाधि पर भी जाना चाहिए था।

क्या कहते हैं जानकार

अब सवाल यह है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा जब यूपी में 3 जनवरी को दाखिल होने वाली है उसके पहले विपक्ष के कद्दावर नेताओं को न्यौता देने के पीछे की वजह क्या है। जानकार कहते हैं कि दरअसल कांग्रेस यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि बीजेपी को मुकाबला देने के लिए सभी विपक्षी दलों को एकजुट होने की जरूरत है। कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक बीजेपी को चुनौती पेश कर सकती है। लेकिन यूपी के विपक्षी दलों को लगता है कि कांग्रेस की इस यात्रा में शामिल होने का मतलब है कि कांग्रेस के नेतृत्व को स्वीकार करना होगा। समाजवादी पार्टी को 2017 का प्रसंग याद है कि किस तरह से उसे कांग्रेस से जुड़कर किसी तरह का फायदा नहीं हुआ तो बीएसपी को लगता है कि कांग्रेस के साथ जाने में सिर्फ और सिर्फ राहुल गांधी का ही फायदा होगा।
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ललित राय author

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