बिखरने लगा INDI गठबंधन, हरियाणा में भी पड़ने लगी दरार; जल्द हो सकती है टूट
AAP vs Congress: चुनावी नतीजों के ठीक बाद ही विपक्षी दलों की एकता में भंग पड़ने लगी है। पहले राजस्थान से ये खबर आई कि इंडी गठबंधन में बिखराव शुरू हो गया है, अब हरिणाया में इन चर्चाओं का बाजार गरमा गया है कि विपक्षी गठबंधन INDIA में टूट हो सकती है। यहां आप और कांग्रेस का सफर यहीं तक था।
अब हरियाणा में टूट के कगार पर विपक्षी गठबंधन।
Opposition Alliance INDIA Break: लोकसभा चुनाव के नतीजे आए हुए अभी जुम्मा जुम्मा 4 दिन भी नहीं हुए कि विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेलवपमेंट इंक्लूजिव अलायंस 'INDIA' में बिखराव शुरू हो गया है। पहले दिल्ली, फिर राजस्थान और अब हरियाणा में भी विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA के भविष्य को खतरा दिख रहा है। हरियाणा में भी ये गठबंधन जल्द टूट सकता है।
हरियाणा में पड़ने लगी विपक्षी गठबंधन में फूट
विपक्षी गठबंधन इंडिया में दरार नजर आने लगी है, अब हरियाणा में भी इसके बिखरने की आशंका तेज हो गई है। दरअसल, रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा का इंडिया गठबंधन को लेकर बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा है कि आम आदमी पार्टी के साथ हरियाणा में हमारा गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक था।
दीपेंद्र हुड्डा।
हरियाणा में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी ने ये फैसला कर लिया है कि सूबे में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए वो अकेले ताल ठोकेगी। पार्टी सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा है कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने में पूरी तरीके से सक्षम है। इसलिए कांग्रेस अकेले ही हरियाणा में चुनाव लड़ेगी। उन्होंने आगे कहा कि हमें हरियाणा को बचाना है बदलाव लाना है।
यहीं तक था कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का साथ?
जैसे आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में किया, बिल्कुल वैसा ही ऐलान कांग्रेस ने हरियाणा में किया। यानी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का साथ समाप्त होने के कगार पर पहुंच चुका है। लोकसभा चुनाव के नतीजे आए हुए कुछ ही दिन ही बीते थे कि AAP नेता ने इस बात का ऐलान कर दिया था कि उनकी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था। उन्होंने ये साफ कर दिया था कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ेगी।
अरविंद केजरीवाल जेल में हैं, लेकिन उनकी पार्टी शायद लोकसभा चुनाव में मिली हार से सदमे में है। दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA को करारी हार झेलनी पड़ी। चार सीटों पर आम आदमी पार्टी और तीन सीटों पर कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों में से किसी को यहां एक भी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई। यही वजह है कि दोनों पार्टियों के बीच फासले अभी से बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। हरियाणा में भी कांग्रेस ने 5 सीटों पर कब्जा जमाया। यहां आम आदमी पार्टी को एक भी सीट नसीब नहीं हुई।
विधानसभा चुनाव में एक-दूजे को कोसेंगे दोनों
जिस आम आदमी पार्टी ने राजनीति में कदम रखने से पहले ही कांग्रेस को जमकर कोसा, उसे भ्रष्टाचारी बताया, उसके कोस-कोस कर सत्ता हासिल किया, उसी पार्टी ने राजनीति के खातिर कांग्रेस के हाथ से हाथ मिला लिया। हालांकि लोकसभा चुनाव में दिल्ली ने उन्हें मौका नहीं दिया, तो केजरीवाल खेमा कांग्रेस से उखड़े-उखड़े नजर आने लगे। अब दोनों पार्टियों ने ये साफ कर दिया है कि ये साथ लोकसभा चुनाव तक ही था, विधानसभा चुनाव में दोनों अकेले दावेदारी पेश करना पसंद करेंगे। हरियाणा में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि दिल्ली में अगले साल 2025 में चुनाव होंगे। जिसमें दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे को कोसते नजर आएंगे।
चुनाव बीतते ही INDI गठबंधन में पड़ने लगी दरार
बहुमत के नंबर 272 को पार करने से विपक्षी गठबंधन 38 सीट पीछे रह गया, कहां तक INDI गठबंधन को चुनावी नतीजों के बाद एकता दिखाने की कोशिश करनी चाहिए, यहां तो उल्टे दरार बढ़ने लगी। चुनावी नतीजों के ठीक बाद ही विपक्षी दलों की एकता में भंग पड़ने लगी है। दरअसल, 6 जून को दिल्ली में INDI गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं ने रणनीति पर चर्चा की। हालांकि एक ऐसी भी सहयोगी पार्टी थी, जिसे उस बैठक में बुलाने के बारे में विचार भी नहीं हुआ। शायद यही वजह है कि राजस्थान से ताल्लुक रखने वाली पार्टी के मुखिया ने उसी वक्त नाराजगी जाहिर कर दी। ये वो पार्टी है, जिसने इस चुनाव में 1 सीट हासिल की है।
हनुमान बेनीवाल ने विपक्षी गठबंधन को जमकर कोसा
इंडिया गठबंधन की बैठक में शामिल नहीं होने को लेकर आरएलपी प्रमुख और नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल का बयान आया। हनुमान बेनीवाल ने गठबंधन की बैठक में नहीं बुलाए जाने पर नाराजगी जाहिर की थी। बेनीवाल ने कहा था कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस गठबंधन को 11 सीट दिलाने में उनका बड़ा योगदान है। इसके बावजूद इंडिया गठबंधन की दो बैठकों में नजरअंदाज किया गया, जो कांग्रेस नेताओं की मानसिकता को दर्शाता है। अगर कांग्रेस में इतना ही दम होता तो दो लोकसभा चुनाव में एक भी सीट क्यों नहीं मिली थी।
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