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क्या है 304 करोड़ रुपये के 'बिना टेंडर' परियोजनाओं से जुड़ा विवाद? जिसे लेकर गोवा विधानसभा में विपक्ष ने किया हंगामा

विपक्षी दलों के नेता गोवा की सरकार को घेरने का कोई मौका छोड़ नहीं रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस ने गोवा में टेंडर प्रक्रिया से जुड़े विवाद को जोरशोर से उठाया था। जिसमें 304 करोड़ की 'बिना टेंडर' परियोजनाओं पर सियासी बवाल अब तेज हो चुका है। अब इस मुद्दे पर गोवा विधानसभा में भी विपक्ष का हंगामा देखने को मिला है।

Opposition's Ruckus in Goa AssemblyOpposition's Ruckus in Goa AssemblyOpposition's Ruckus in Goa Assembly

गोवा विधानसभा में विपक्ष का हंगामा।

गोवा की राजनीति में नया तूफान खड़ा हो गया है, इसकी वजह टेंडर प्रक्रिया से जुड़ा विवाद है। आरोप है कि बिना टेंडर प्रक्रिया के करीब 304 करोड़ रुपये की सार्वजनिक परियोजनाओं को आवंटित किया गया। पहले कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा और अब एक और विपक्षी दल ने गोवा की सरकार और सीएम सावंत को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। कांग्रेस ने पिछले सप्ताह इस कथित घोटाले को उजागर किया था, जिसके बाद अब यह मामला सोमवार को विधानसभा में गूंज उठा।

विपक्ष ने गोवा में टेंडर प्रक्रिया से जुड़े विवाद को दिया तूल

गोवा फॉरवर्ड पार्टी (GFP) के अध्यक्ष और फातोर्डा विधायक विजय सरदेसाई ने विधानसभा में इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया, मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की सरकार पर केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। सरदेसाई ने सदन में कहा, 'क्या यही मुख्यमंत्री का गुड गवर्नेंस है? कैबिनेट ने 76 कार्यों को ₹304.24 करोड़ की लागत से बिना टेंडर और पोस्ट-फैक्टो तरीके से मंजूरी दी। यह CVC के उस स्पष्ट नियम के खिलाफ है जिसमें कहा गया है कि ₹10,000 से अधिक के किसी भी कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया अनिवार्य है।'

यह आरोप कांग्रेस के पिछले सप्ताह के उस बयान की पुष्टि करते हैं, जिसमें पार्टी ने सावंत सरकार पर 'चुने हुए ठेकेदारों' को लाभ पहुंचाने और शासन तथाकथित 'गिरोह' में बदलने का आरोप लगाया था। विपक्ष द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों के अनुसार, 76 परियोजनाएं कई विभागों से जुड़े हुए हैं, जिन्हें बिना तकनीकी मूल्यांकन और पारदर्शिता के सीधे नामांकन के आधार पर आवंटित किया गया। इससे न केवल वित्तीय अनियमितताओं बल्कि गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

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