सोनम वांगचुक की हिरासत को लेकर बढ़ा सियासी घमासान, समूचे विपक्ष के निशाने पर मोदी सरकार
केंद्र शासित प्रदेश को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी तक मार्च करने वाले वांगचुक सहित लद्दाख के करीब 120 लोगों को दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर हिरासत में ले लिया।
हिरासत में सोनम वांगचुक
- सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने को लेकर सियासी संग्राम चरम पर
- खरगे और राहुल गांधी ने इसे कार्यरतापूर्ण, अलोकतांत्रिक और अस्वीकार्य कार्रवाई बताया
- केंद्र शासित प्रदेश को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर पदयात्रा
Sonam Wangchuk Detained: लद्दाख के पर्यावरण व सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने को लेकर सियासी संग्राम चरम पर है। इसे लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने मोदी सरकार को निशाने पर लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और कई अन्य लद्दाख वासियों को हिरासत में लिया जाना कार्यरतापूर्ण, अलोकतांत्रिक और अस्वीकार्य कार्रवाई है। केंद्र शासित प्रदेश को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी तक मार्च करने वाले वांगचुक सहित लद्दाख के करीब 120 लोगों को दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर हिरासत में ले लिया।
खरगे का मोदी सरकार पर निशाना
खरगे ने एक्स पर पोस्ट किया, सत्ता के नशे में चूर मोदी सरकार ने लद्दाख से शांतिपूर्वक दिल्ली मार्च कर रहे नागरिकों के एक समूह को हिरासत में ले लिया है। यह और कुछ नहीं बल्कि एक कायरतापूर्ण कार्रवाई है और पूरी तरह से अलोकतांत्रिक प्रकृति की है। लद्दाख में संविधान की छठी अनुसूची के तहत आदिवासी समुदायों की सुरक्षा के लिए व्यापक आह्वान के साथ, जन समर्थन की लहर बढ़ रही है। इसके बजाय, मोदी सरकार अपने करीबी मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए लद्दाख के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र का दोहन करना चाहती है।
खरगे ने कहा कि यह घटना हमें बताती है कि मोदी सरकार की निरंकुशता के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।
राहुल ने कहा, पीएम मोदी को लद्दाख की आवाज सुननी होगी
वहीं, राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को लद्दाख की आवाज सुननी होगी। उन्होंने एक्स पर लिखा, पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक मार्च कर रहे सोनम वांगचुक जी और लद्दाख के सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया जाना अस्वीकार्य है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी पूछा कि लद्दाख के भविष्य के लिए आवाज उठाने वाले बुजुर्ग नागरिकों को दिल्ली की सीमा पर आखिर हिरासत में क्यों लिया गया। मोदी जी, किसानों के मामले की तरह यह चक्रव्यूह भी टूटेगा और आपका अहंकार भी टूटेगा। आपको लद्दाख की आवाज सुननी होगी।
सीएम आतिशी ने बताया तानाशाही
उधर, आम आदमी पार्टी ने भी इसे लेकर केंद्र सरकार को घेरा। दिल्ली की सीएम आतिशी ने सोनम वांगचुक को हिरासत में लेने को तानाशाही करार दिया है। उन्होने पूछा कि क्या लद्दाख के लोकतांत्रिक अधिकार मांगना गलत है? क्या 2 अक्तूबर को सत्याग्रहियों का गांधी समाधि जाना गलत है? सोनम वांगचुक जी को रोकना तानाशाही है।
वांगचुक ने तस्वीरें की साझाहिरासत में लिए जाने से कुछ समय पहले इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में वांगचुक ने दिल्ली सीमा से तस्वीरें साझा की थीं, जहां व्यापक पुलिस बल की मौजूदगी के बीच उनकी बसों को रोका गया था। वीडियो में पर्यावरण कार्यकर्ता पुलिस अधिकारियों के साथ बातचीत करते देखे जा सकते हैं। अपने पोस्ट में वांगचुक ने कहा कि दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस के कई वाहन उनकी बसों के साथ थे। उन्होंने कहा कि उन्हें शुरू में लगा कि राष्ट्रीय राजधानी के पास पहुंचने पर ये बसें उनकी सुरक्षा के लिए उनके पीछे-पीछे चल रही हैं, लेकिन बाद में यह स्पष्ट था कि उन्हें हिरासत में लिया जाने वाला है।
वांगचुक ने कहा, जैसे-जैसे हम दिल्ली के पास पहुंच रहे हैं, ऐसा लगने लगा कि हमें सुरक्षा नहीं दी जा रही बल्कि हमें हिरासत में लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सीमा पर लगभग 1,000 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है और उन्हें बताया गया है कि दिल्ली में लद्दाख भवन और केंद्र शासित प्रदेश के छात्रों के रहने वाले इलाकों में भारी सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि वे नहीं चाहते कि यह पदयात्रा हो।
वांगचुक ने इसलिए निकाली पदयात्रापदयात्रा का आयोजन ‘लेह एपेक्स बॉडी’ द्वारा किया गया था, जो करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ मिलकर पिछले चार साल से लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची में इसे शामिल करने, लद्दाख के लिए लोक सेवा आयोग के साथ शीघ्र भर्ती प्रक्रिया और लेह एवं करगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीट की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रही है। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कई संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन के आह्वान सहित कानून-व्यवस्था के मुद्दों का हवाला देते हुए अगले छह दिन के लिए मध्य भाग और सीमावर्ती क्षेत्रों में पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने, बैनर, तख्तियां और हथियार लेकर चलने एवं विरोध प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
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