EVM पर विपक्ष की नई रणनीति, शरद पवार संभालेंगे कमान, कांग्रेस करेगी पीछे से सपोर्ट!
ईवीएम को लेकर कांग्रेस समेत लगभग सभी विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को घेरती रही है। कई बार इसे लेकर विवाद सामने आ चुका है। हालांकि चुनाव आयोग का दावा है कि इसे हैक करना असंभव है, वहीं विपक्ष का दावा है कि इसे हैक करके चुनाव जीता जा रहा है।
EVM को लेकर विपक्ष की नई रणनीति (फोटो- PawarSpeaks)
ईवीएम (EVM) को लेकर एक बार फिर नए सिरे से विपक्षी दल मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। इस बार रणनीति बनाने के लिए एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने कमान संभाली है। उन्होंने समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है।
तीन अहम बातों पर चर्चा
- अदालत में ईवीएम मामले को किस रूप में ले जाना है?
- चुनाव आयोग से क्या क्या बदलाव की मांग करनी है?
- जनता के बीच इस मुद्दे को कैसे अपने पक्ष में माहौल बनाना है?
सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी नेताओं का मानना है कि, ईवीएम मशीन में चिप होती है, जिसके हैक किये जाने की आशंका होती है। इसलिए सबसे पहले इस चिंता को चुनाव आयोग को दूर करना चाहिए। इसके लिए विपक्षी नेताओं की व्यक्तिगत चर्चा में दो बातों पर सहमति बन गयी है-
- ईवीएम में पड़े हर वोट की वीवीपैट से पर्ची निकले। फिर हर सीट पर 30 से 40 फीसदी रैंडम पर्चियों का मिलान हो, अगर मिलान में गड़बड़ी हो तो सारी पर्चियों की गिनती की जाए।
- अभी तक फॉर्म 17 सी के तहत जो ईवीएम में वोट पड़ते हैं, उसकी संख्या पीठासीन अधिकारी मुहर और दस्तखत करके उम्मीदवारों के एजेंट को देते हैं। इसके साथ ही अब फॉर्म 17ए के तहत उम्मीदवारों के एजेंट पीठासीन अधिकारी से उनकी संख्या भी दस्तखत और मुहर लगवाकर लें, जो मतदाता वोट देने आये थे। इससे भी दोनों का मिलान हो जाएगा और ईवीएम की चिप में अगर कोई गड़बड़ी होगी और वोट कम ज़्यादा पड़े होंगे तो फौरन सामने आ जायेगा।
दरअसल, विपक्षी दलों के नेताओं को आशंका है कि, वोट डलते वक़्त ही मशीनों में चिप के ज़रिए हेर-फेर हो सकता है। इसलिए इन मांगों के ज़रिए वो आयोग से चुनाव को पारदर्शी बनाने की बात कहेंगे और इसी लाइन पर अदालत का दरवाजा भी खटखटाएंगे। इसके साथ ही विपक्षी दल के नेता अपनी आशंका को जनता की आशंका से भी जोड़ेंगे।
कांग्रेस करेगी पीछे से सपोर्ट
खास बात ये है कि, कांग्रेस ने जानबूझकर इस मसले को खुद लीड करने के बजाय शरद पवार को चुना है। जिससे कांग्रेस से दूरी बनाने वाले ज़्यादा से ज़्यादा विपक्षी दल इस मुहिम से जुड़ें और विपक्षी एकता का दबाव दिखाई दे। इसीलिए पवार की सरपरस्ती में कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह इस बैठक में हिस्सा लेंगे।
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