‘गारंटी’ की गारंटी का क्या हुआ? पानी में बह गया नमामि गंगे का पैसा, न बुझी प्यास न जुड़ीं नदियां; जुमला पर विपक्ष का हमला!

लोकसभा में आज केंद्र सरकार की नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं की गति और नमामि गंगे पर कम खर्च किये जाने का मुद्दा छाया रहा। द्रमुक सांसद ने कहा कि मिशन के लिए पिछले वित्त वर्ष में 70,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गए, लेकिन सरकार ने केवल 20,000 करोड़ रुपये खर्च किए।

Namami Gange expenditure

(फाइल फोटो)

दिल्ली : विपक्षी सांसदों ने नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं की सुस्त गति, नमामि गंगे कार्यक्रम पर कम खर्च और जल जीवन मिशन का पर्याप्त क्रियान्वयन न हो पाने का मुद्दा बुधवार को लोकसभा में उठाया। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के टी. आर. बालू ने वर्ष 2025-26 के लिए जल शक्ति मंत्रालय से संबंधित अनुदानों की मांगों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरराज्यीय स्तर पर नदियों को जोड़ने का वादा किया था। लेकिन हिमालयी नदियों और प्रायद्वीपीय नदियों को जोड़ने के लिए अब तक कोई योजना नहीं बनाई गई। उन्होंने दावा किया कि अब तक कोई डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) नहीं बनाई गई है।

5 करोड़ परिवारों को नल से जल का कनेक्शन (Nal Se Jal Conection)

उन्होंने उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के बीच केन-बेतवा नदी संपर्क परियोजना (Ken-Betwa River Link Project) का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हम इसके खिलाफ नहीं हैं। इस पर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने की घोषणा की गई, लेकिन हम जानना चाहते हैं कि यह परियोजना कब पूरी होगी। जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के तहत अब तक 80 प्रतिशत योजनाओं को ही पूरा किया गया है और केवल 15 करोड़ परिवारों को नल से जल का कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है।

द्रमुक सांसद ने कहा कि मिशन के लिए पिछले वित्त वर्ष में 70,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गए, लेकिन सरकार ने केवल 20,000 करोड़ रुपये खर्च किए। करीब 50,000 करोड़ रुपये खर्च नहीं किये गए। इसका यह मतलब है कि सरकार असल में इसमें रूचि नहीं दिखा रही है। मैं जानता चाहता हूं कि 50,000 करोड़ रुपये अब तक क्यों नहीं खर्च किये गए?

स्वच्छ भारत मिशन कितना कारगर?

कांग्रेस के राहुल राहुल कस्वां ने सवाल किया कि जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission) का लाभ क्या सही मायने में लोगों तक पहुंच सका है। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर कई स्थानों पर पानी की किल्लत है। साथ ही, पानी की गुणवत्ता को लेकर भी शिकायतें सुनने को मिलती हैं। उन्होंने सिंचाई के ऊपर भी ध्यान देने और नदियों को जोड़े जाने की जरूरत की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए दावा किया कि पिछले 10 साल में देश में सिंचाई के लिए एक भी बड़ी परियोजना शुरू नहीं की गई। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 2015-16 से 2021-22 के बीच केवल 4,016 करोड़ रुपये खर्च किये गए और यह इस मद के लिए आवंटित बजट का केवल 20 प्रतिशत हिस्सा है।

दो करोड़ नौकरी का वादा जुमला

तृणमूल कांग्रेस के बापी हालदर ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किये गए, लेकिन पैसा कहां गया? इसकी जांच कराई जानी चाहिए। 2019 में जल जीवन मिशन की शुरूआत हर परिवार को 2024 तक शुद्ध पेयजल (Pure Drinking Water) उपलब्ध कराने के लिए की गई थी, लेकिन उस ‘गारंटी’ का क्या हुआ? हालदर ने कहा कि हर वर्ष दो करोड़ नौकरी (Two Crore Jobs) देने का वादा किया गया था। यह कहा गया था कि काला धन वापस आ जाएगा। इसी तरह क्या यह भी (शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना) एक जुमला था। पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस सांसद ने गंगा सागर मेला के लिए विशेष पैकेज की घोषणा किये जाने की भी मांग की।

बाढ़ नियंत्रण के लिए सरकार ने क्या किया?

समाजवादी पार्टी के वीरेंद्र सिंह ने कहा कि वर्षा जल का बेहतर प्रबंधन न होने के कारण जल का संचयन नहीं हो पाता है, जिससे कई जगह किसानों को सिंचाई के लिए और लोगों को पेयजल नहीं मिल पाता है। हालांकि, जनता दल(यूनाइटेड) की लवली आनंद नेजल जीवन मिशन की सराहना करते हुए कहा कि इससे महिलाओं को जल संरक्षण की कठिनाइयों से राहत मिली है। मानसून के दौरान, बिहार में बागमती और गंडक नदियों में बाढ़ आने से हजारों लोगों के प्रभावित होने का जिक्र करते हुए बाढ़ नियंत्रण के लिए तटबंध और बांध बनाने की मांग की।

जद(यू) सांसद ने कहा कि बिहार में बाढ़ का संकट समाप्त करने के लिए नेपाल में ‘हाई डैम’ बनाया जाए, ताकि हर साल पेश आने वाली इस समस्या का समाधान हो सके। तेदेपा के बी नागराजू ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।

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Pushpendra kumar author

पुष्पेंद्र यादव गंगा-यमुना के दोआब में बसे फतेहपुर जनपद से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्षा-दीक्षा भी उसी परिवेश में हुई। ...और देखें

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