विपक्ष ने उठाया 'झुनझुना मंत्रालय' का मुद्दा, NDA के सहयोगियों पर किया कटाक्ष; तो छिड़ा सियासी संग्राम

NDA vs INDIA: विपक्ष ने मोदी सरकार में मंत्रालयों के बंटवारे पर तंज कसते हुए कहा था कि मोदी मंत्रिमंडल में भाजपा नेताओं का दबदबा है। अधिकांश मलाईदार मंत्रालय बीजेपी नेताओं को मिले हैं, जबकि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को झुनझुना थमा दिया गया है। अब इस मसले पर सियासत गरमा गई है।

Politics on Modi Cabinet Portfolio

मंत्रालयों के बंटवारे पर गरमाई सियासत।

Opposition Slams BJP on Portfolio: मोदी सरकार 3.0 के गठन के ठीक बाद ही विपक्षी दलों ने नई सियासी चाल चलनी शुरू कर दी है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार 3.0 में एनडीए के घटक दलों को 'झुनझुना मंत्रालय' थमा दिया गया है। जिसके बाद से वार-पलटवार का दौर तेज हो गया है। आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद संजय सिंह और शिवसेना (यूटीबी) से राज्यसभा सांसद संजय राउत ने गंभीर आरोप लगाया है। जिस पर भाजपा ने पलटवार किया है।

विपक्ष ने सरकार पर लगाया 'झुनझुना मंत्रालय' थमाने का आरोप

सियासत में साम दाम दंड भेद सभी का इस्तेमाल होता है। विपक्ष ने इसे अपना बड़ा हथियार बना लिया है, जिसके तहत विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA के नेताओं ने मोदी सरकार पर ये आरोप लगाया है कि भाजपा ने अपने सहयोगी दलों को बड़े विभाग नहीं दिए। आम आदमी पार्टी (आप) नेता संजय सिंह ने कहा कि एनडीए के घटक दलों को 'झुनझुना मंत्रालय' थमा दिया गया है। वहीं शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने दावा किया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे के बाद भाजपा के सहयोगी नीतीश कुमार और एन चंद्रबाबू नायडू 'असंतुष्ट' हैं। राउत ने नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्रालयों के बंटवारे पर तंज कसते हुए कहा था कि मोदी मंत्रिमंडल में भाजपा नेताओं का दबदबा है। अधिकांश मलाईदार मंत्रालय बीजेपी नेताओं को मिले हैं, जबकि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को झुनझुना थमा दिया गया है।

अपने सहयोगी और घटक दलों को दबाती है भाजपा- संजय सिंह

संजय सिंह ने कहा कि गृह, रक्षा, वित्त, विदेश, वाणिज्य, सड़क, रेल, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, जल शक्ति, पेट्रोलियम और दूरसंचार मंत्रालय नहीं, एनडीए के घटक दलों के हिस्से में सिर्फ 'झुनझुना मंत्रालय' आया है। भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगी और घटक दलों को दबाती है, यह बात मंत्रालय के बंटवारे के बाद सामने आ गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी भाजपा किसी के साथ सहयोगी बनकर काम करती है तो उसका सब कुछ छीन लेती है। शरद पवार की घड़ी चुरा ली। उद्धव ठाकरे का तीर-कमान चुरा लिया। भाजपा हर राज्य में तोड़फोड़ की राजनीति करती है। पार्टियों को तोड़ती है। सरकार गिराती है। उन्होंने 10 साल में यही काम किया। भाजपा ने एनडीए के घटक दलों को जो मंत्रालय दिया है, उसके बाद अगला कदम उनकी पार्टियों को खत्म करने का होगा।

'सहयोगी दलों के नेताओं को तोड़कर वह भाजपा में मिला लेंगे'

केंद्र की मोदी सरकार के मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया गया है। इस पर विपक्षी दल सवाल भी उठा रहे हैं। जिसके बाद संजय सिंह ने आरोप लगाया कि अगर गलती से भाजपा का स्पीकर बन गया तो तीन बड़े बदलाव होंगे। पहला बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के संविधान को खतरा है। दूसरा खतरा यह है कि जितनी भी पार्टियां उनके साथ मौजूद हैं, चाहे टीडीपी हो, आरएलडी हो, पवन कल्याण की पार्टी हो या फिर जयंत चौधरी की पार्टी हो या फिर कोई अन्य पार्टी, सभी के नेताओं को तोड़कर वह भाजपा में मिला लेंगे। तीसरा कोई भी मनमाना बिल भाजपा संसद में लेकर आएगी और किसी सांसद ने उसके खिलाफ अगर आवाज उठाई तो उसे मार्शल से बाहर फेंकवा देंगे। अपने पिछले कार्यकाल में मोदी जी ने 150 से ज्यादा सांसदों को बाहर करवा दिया था।

RSS प्रमुख मोहन भागवत को विपक्ष ने दी ये अजब-गजब सलाह

संवाददाताओं से बातचीत में संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राकांपा प्रमुख शरद पवार के लिए इस्तेमाल किये गये शब्द 'भटकती आत्मा' का भी जिक्र किया और कहा कि यह 'भटकती बेचैन आत्मा' तब तक चैन से नहीं बैठेगी जब तक कि केन्द्र और महाराष्ट्र में भाजपा नीत सरकारों को बेदखल नहीं कर दिया जाता। राज्यसभा सदस्य ने कहा कि अगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को लगता है कि केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार देश के हित में नहीं है तो उन्हें इसे गिरा देना चाहिए।
राउत ने कहा, 'केंद्र में दो 'अतृप्त आत्माएं' हैं- (बिहार के मुख्यमंत्री) नीतीश कुमार और (टीडीपी प्रमुख) चंद्रबाबू नायडू। आपको (भाजपा को) इन दो अतृप्त आत्माओं को संतुष्ट करना चाहिए। जिस तरह से विभागों का बंटवारा किया गया है, उससे ऐसा लगता है कि सभी आत्माएं असंतुष्ट हैं, खासकर राजग के सहयोगी।'

जदयू और टीडीपी के नेताओं को मोदी सरकार 3.0 में क्या मिला?

बुधवार को विभागों के आवंटन में नीतीश कुमार की जनता दल-यूनाइटेड के ललन सिंह को पंचायती राज, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय मिले, जबकि तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के के. राममोहन नायडू को नागरिक उड्डयन मंत्रालय मिला है। संजय राउत ने कहा कि जनता दल (सेक्युलर) नेता एच डी कुमारस्वामी को 'सबसे बेकार' विभाग दिया गया है। उन्हें भारी उद्योग और इस्पात मंत्रालय दिया गया है। राउत ने दावा किया कि भाजपा ने सबकुछ अपने पास रख लिया है।

मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम मंत्री न होने का जिक्र किया जिक्र

मोदी नीत मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम मंत्री न होने का जिक्र करते हुए शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा कि यह संविधान के खिलाफ है। राउत ने निशाना साधते हुए कहा, 'मोदी ने चुनावों के दौरान यह स्पष्ट कर दिया था। वे देश में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दरार डालना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि मुसलमानों ने भाजपा को वोट नहीं दिया है, इसलिए वे मंत्रिमंडल में नहीं हैं।' संजय राउत ने कहा कि एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना, अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में कोई दम नहीं है। उन्होंने दावा किया कि इन पार्टियों का गठन सिर्फ डर के कारण और शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) को कमजोर करने के उद्देश्य से किया गया है।

झुनझुना वाले बयान पर भड़की भाजपा, दिया करारा जवाब

भाजपा ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि 'एनडीए तीसरी बार अपनी सरकार बना चुकी है। वहीं दूसरी तरफ इंडी गठबंधन में केवल करप्शन, एम्बिशन, कन्फ्यूजन और फ्रस्ट्रेशन है। अब इसी फ्रस्ट्रेशन में आकर विपक्ष के नेता संजय राउत कह रहे हैं कि एनडीए के घटक दलों को झुनझुना मंत्रालय थमा दिया। ये देश के कल्याण से जुड़े मंत्रालय क्या कांग्रेस और विपक्ष के लिए झुनझुना होते हैं? क्या उनको कुछ मंत्रालय मलाईदार और कुछ मंत्रालय झुनझुना नजर आते हैं? लेकिन, यहां सवाल पैदा होता है कि 24 घंटे पहले संजय राउत आप कह रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आप कमजोर हैं। आपको बैसाखियों की जरूरत है। अब 24 घंटे बाद कह रहे हैं कि झुनझुना थमा दिया सबको। अपने पास सबकुछ रख लिया, तो आप आखिर कहना क्या चाहते हैं?

विपक्ष को दी झुनझुना की परिभाषा समझने की सलाह

भाजपा ने कहा कि आपको झुनझुना की परिभाषा समझनी होगी। झुनझुना वह है, जो आपको कांग्रेस के द्वारा एलओपी के नाम पर थमा दिया गया है। आप से इन लोगों ने एलओपी के बारे में फैसला लेने से पहले कुछ नहीं पूछा। राहुल गांधी को विपक्ष का नेता घोषित कर दिया गया। ऐसा करके आपको झुनझुना थमा दिया गया। झुनझुना तो अब वो है, जो दिल्ली में इंडिया गठबंधन के पास पड़ा हुआ है, क्योंकि पंजाब में जैसे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का तलाक हो गया था, वैसे ही अब दिल्ली में भी हो गया है, तो इंडी अलायंस को झुनझुना मिला। केरल में इंडी अलायंस को झुनझुना मिला है, क्योंकि वहां तो कांग्रेस और लेफ्ट का कोई अलायंस नहीं है, तो ऐसे में झुनझुना क्या होता है। वो तो आप भलीभांति जानते हैं।
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आयुष सिन्हा author

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