राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष लाया अविश्वास प्रस्ताव, 60 सांसदों के हस्ताक्षर
डिया ब्लॉक अब सभापति जगदीप धनखड़ को लेकर असंतोष जता रहा है, और उन पर राज्यसभा में कुछ सांसदों के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया दिखाने का आरोप लगा रहा है।
जगदीप धनखड़
Jagdeep Dhankhar: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया है । जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने आज राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया। इस प्रस्ताव में सभापति पर सदन में पक्षपातपूर्ण कामकाज का आरोप लगाया गया है। इंडिया अलायंस की पार्टियां अनुच्छेद 67(बी) के तहत अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकती हैं।
संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जारी गतिरोध के बीच आज उच्च सदन में सभापित जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई। विपक्ष के सांसदों ने प्रस्ताव में सभापति पर भेदभाव बरतने की बात कही। राज्यसभा के 60 सांसदों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। अनुच्छेद 67-बी के तहत यह प्रस्ताव राज्यसभा (राज्य परिषद) में उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए लाया गया है।
मुख्य बातें:यह प्रस्ताव 13:37 बजे प्रस्तुत किया गया।
फ्लोर लीडर्स और सोनिया गांधी ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
दो पन्नों के पत्र में विपक्षी पार्टियों ने लिखा है कि सभापति निष्पक्ष नहीं हैं।
विपक्षी सांसदों का आरोप है कि सभापति सत्ताधारी सांसदों को बोलने की अनुमति देते हैं लेकिन विपक्ष को बोलने नहीं देते।
शामिल राजनीतिक दल(प्रस्ताव सौपने गए नेता
कांग्रेस:
जयराम रमेश
प्रमोद तिवारी
टीएमसी:
नदीम-उल-हक
सागरिका घोष
अनुच्छेद 67 बी के तहत उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित और लोकसभा द्वारा सहमत एक प्रस्ताव के माध्यम से हटाया जा सकता है।
इस प्रस्ताव को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होगा:
1. प्रस्ताव को प्रस्तुत करने से कम से कम 14 दिन पहले नोटिस दिया जाना चाहिए।
2. प्रस्ताव राज्यसभा के सभी सदस्यों के बहुमत से पारित होना चाहिए।
3. प्रस्ताव को लोकसभा में साधारण बहुमत से अनुमोदित किया जाना चाहिए।
सभापति के खिलाफ असंतोष
विपक्ष ने अगस्त में संसद के मानसून सत्र के दौरान भी हस्ताक्षर अभियान चलाया था, लेकिन उस समय कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया था। हालांकि, इंडिया ब्लॉक अब सभापति जगदीप धनखड़ को लेकर असंतोष जता रहा है, और उन पर राज्यसभा में कुछ सांसदों के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया दिखाने का आरोप लगा रहा है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और अन्य कई छोटे दल इस प्रस्ताव को लेकर एकजुट हैं।
सत्तारूढ़ सदस्यों के प्रति पक्षपाती होने का आरोप लगाया
इंडिया ब्लॉक के सांसद अक्सर राज्यसभा सभापति पर उच्च सदन में सत्तारूढ़ सदस्यों के प्रति पक्षपाती होने का आरोप लगाते रहे हैं। उन्होंने उन पर उनके भाषणों में बार-बार बाधा डालने, महत्वपूर्ण मुद्दों पर पर्याप्त बहस की अनुमति देने से इनकार करने और विवादास्पद चर्चाओं के दौरान सत्तारूढ़ दल का पक्ष लेने का आरोप लगाया है। उन्होंने तर्क दिया कि संसदीय परंपरा में यह अनिवार्य है कि जब विपक्ष का नेता बोलने के लिए उठे तो उसे बोलने की अनुमति दी जाए। विवाद का एक प्रमुख मुद्दा कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषणों में लगातार व्यवधान था, कथित तौर पर कई मौकों पर उनके माइक्रोफोन को बंद कर दिया गया। विपक्ष ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर सदस्यों के खिलाफ निजी टिप्पणी करने का भी आरोप लगाया, जिसे उन्होंने संसदीय नियमों का उल्लंघन बताया।
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